भोपाल, 26 मई (जनसमा)। आदिगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा के लिए धातु संग्रहण अभियान का शुभारंभ 26 अगस्त ऋषि पंचमी के दिन से शुरू होगा। आदिगुरु के मध्यप्रदेश स्थित स्मृति स्थलों से संग्रहण यात्राएँ प्रारंभ होगी। सभी यात्राएँ ओंकारेश्वर में मिलेगी।
यह निर्णय गुरूवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में संतों की विमर्श-सभा में लिया गया। विमर्श-सभा जनजातीय संग्रहालय के सभागार में की गयी।
इस अवसर पर चिन्मयानंद मिशन के स्वामी प्रबोधानन्द सरस्वती, स्वामी विष्णुदत्त जी बौरासी, स्वामी राघवेन्द्रदत्त जी महाराज, लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह और संस्कृति राज्य मंत्री सुरेन्द्र पटवा भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार आदिगुरु शंकराचार्य का दर्शन जन-जन तक पहुँचाने और उनकी विशाल प्रतिमा स्थापना द्वारा सन्मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित करने का प्रयास कर रही है। भारत को सांस्कृतिक रूप से एक करने का काम आदिगुरु शंकराचार्य ने किया है। आदिगुरु ने देश की चारों दिशाओं को ऐसे तार से जोड़ा, जिससे देश बिखर नहीं पाये। टूट नहीं सके।
मुख्यमंत्री ने उनके अनुरोध पर आचार्य सभा द्वारा अभियान का दायित्व स्वीकारने के लिये संतों का आभार ज्ञापित किया।
उन्होंने संतों को आगामी दो जुलाई को 6 करोड़ पौधे रोपित करने की जानकारी दी और उन्हें आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि विकास, निर्माण कार्यों के साथ ही पर्यावरण रक्षा भी सरकार का दायित्व है।
विमर्श सभा में महामंडलेश्वर जगदगुरु स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि आदिगुरु ने देहधर्म की नहीं आत्मा की बात की है। मध्यप्रदेश की धरती ने ही बालक शंकर को आदिगुरु शंकराचार्य बनाया है। ओंकारेश्वर वैदिक विद्या का केन्द्र बने। यहाँ पर कार्यशालाएँ व्याख्यान मालाएँ आयोजित हो।
आचार्य सभा के संयोजक स्वामी परमानन्द सरस्वती ने कहा कि आदिगुरु ने धर्म-संस्कृति और आध्यात्मिकता को उजागर करने का कार्य किया। उसी अनुरूप ओंकारेश्वर को नई पहचान दी जाये। वह अनुसंधानात्मक ज्ञान का केन्द्र बने जो हिन्दू धर्म की भ्रांतियों को दूर करने के अनुरूप हो। धर्म की रक्षा करें। आचार्य सभा संगठित हिन्दू चेतना को विकसित करने के लिये तत्पर है।
स्वामी हरिहरानंद ने कहा कि वे भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के राज्य सरकार के प्रयासों से अभिभूत है। नर्मदा सेवा यात्रा सत्य-कर्त्तव्य निर्वहन का अनुकरणीय प्रयास है। स्वामी अखिलेश्वरानन्द ने अभियान संचालन के लिये संगठनात्मक स्वरूप को जिला, संभाग और राज्य स्तर पर संयोजित किये जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर एक मार्गदर्शक मंडल बनाया जाये।
प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव ने परियोजना की जानकारी दी। अभियान सांस्कृतिक एकता का जन-आंदोलन है। आदिगुरु शंकराचार्य की जन-सहयोग से प्रतिमा निर्माण दुनिया में अपनी तरह का पहला कार्य होगा। दुनिया में किसी भी दार्शनिक की प्रतिमा जन-सहयोग से निर्मित नहीं हुई है। प्रदेश से आदिगुरू शंकराचार्य की स्मृतियां जुड़ी हैं। अभियान में जन-जागृति यात्राएँ इन्हीं स्थानों से शुरू की जायेगी।
विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री चौहान एवं अतिथियों ने अभियान गीत की सी.डी. और चतुर्मठ खेल का लोकार्पण किया। डॉ. संजय द्विवेदी ने आदिगुरु की रचना गुरुपादष्टम का गायन किया। महेश श्रीवास्तव रचित अभियान गीत का समूह गायन भी हुआ।
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