गुजरात सरकार (Gujarat government) की अन्न बह्मा योजना (Anna Brahma Yojana) के कारण सूरत के प्रवासी मजदूरों ने चैन की सांस ली है।
याद रहे कुछ दिनों पहले वहां प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए थे किन्तु गुजरात सरकार ने तुरंत राहत का काम शुरू किया और मजदूर अब सुकून के साथ अलगाव का समय बिता रहे हैं।
COVID-19 महामारी का सबसे अधिक प्रभाव प्रवासी मज़दूरों प्रवासी मज़दूर(Migrant laborers) और ग़रीब कामगारों पर पड़ा है क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनका काम पूरी तरह से ठप्प हो गया है।
गुजरात सरकार (Gujarat government) इस मुश्किल स्थिति को बखूबी संभालते हुए राज्य के हर गरीब और मज़दूर परिवार तक राशन पहुंचा रही है।
कोरोना महामारी (COVID-19) से लड़ने के लिए रूपाणी सरकार ना केवल अपने बल्कि दूसरे राज्यों के मज़दूरों (Migrant laborers) की भी सहायता कर रही है।
गुजरात के बाकी ज़िलों की तुलना में सूरत में सबसे अधिक प्रवासी मज़दूर (Migrant laborers) हैं क्योंकि ये शहर इंडस्ट्रियल हब है जो लाखों मज़दूरों को रोज़गार मुहैया कराता है।
यहां के ज्यादातर श्रमिक ओडिशा, उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। कोरोना लॉकडाउन की स्थिति में इनके लिए कमाई का साधन नहीं रहा ।
इस स्थिति में गुजरात सरकार द्वारा प्रवासी मज़दूरों (Migrant laborers) की ज़रूरतों को पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
ग़रीबों की मदद के लिए रूपाणी सरकार फ्री राशन दे रही है जिसके तहत 60 लाख राशनकार्ड धारी परिवारों यानि क़रीब 3.25 करोड़ लोगों को फ्री में गेहूं, चावल, दाल और चीनी उपलब्ध कराया जा रहा है।
इसके अलावा राज्य सरकार की ‘अन्न ब्रह्मा योजना 2020’ (Anna Brahma Yojana 2020)के तहत सभी ग़ैर-राशन कार्ड धारक प्रवासी श्रमिकों को भी फ्री में राशन मुहैया कराया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोरोनावायरस कर्फ्यू के दौरान राज्य में कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे।
अन्न बह्मा योजना के तहत यूपी, एमपी, बिहार, प.बंगाल, केरल, तमिलनाडु या किसी अन्य राज्य के मज़दूर जो वर्तमान में गुजरात में मौजूद हैं लेकिन उनके पास राशन कार्ड नहीं है वो भी राशन प्राप्त कर सकते हैं।
गुजरात के 33 ज़िलों में ग़रीब और मज़दूर परिवारों को अब तक क़रीब 1 करोड़ 70 लाख (1,70,99,365) फूड पैकेट्स बांटे जा चुके हैं जिनमें सबसे ज्यादा सूरत के मज़दूर शामिल हैं जहां 6,29,110 फूड पैकेट्स वितरित किए जा चुके हैं।
प्रतिदिन इन प्रवासी मज़दूरों (Migrant laborers) को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि इस गंभीर स्थिति में किसी को भी खाने की तंगी ना हो और लॉकडाउन रहने तक बिना काम के भी इन मज़दूरों को पर्याप्त भोजन मिलता रहे।
कोरोना की गंभीर स्थिति को ना समझते हुए सैंकड़ों प्रवासी मज़दूरों (Migrant laborers) ने अपने शहरों में पैदल ही पलायन करना शुरू कर दिया था जिससे प्रशासन को और अधिक परेशानी हुई लेकिन इसका निपटान करने के लिए युद्ध स्तर पर राहत शिविर बनाए गए जहां प्रवासी मज़दूरों के ग़रीब परिवारों को भोजन और आश्रय मिल रहा है।
राज्य सरकार कईसामाजिक संगठनों और इंडस्ट्रीज़ के साथ जुड़कर यह निश्चित कर रहे हैं कि मज़दूरों की हर समस्या का निदान किया जा सके।
ज़िला प्रशासन द्वारा ऐसे सभी प्रवासी मज़दूरों (Migrant laborers) की सूची भी तैयार की गई है जिससे हर किसी को राज्य सरकार की योजना का लाभ मिल सके।
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