नई दिल्ली, 26 अक्टूबर। दिल्ली के प्रदूषण की भयानक समस्या से निपटने के लिए आज मंत्रिस्तरीय एक महत्वपूर्ण बैठक की गई।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पिछले साल से इस साल तक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में पंजाब में 35% कमी आई है। हरियाणा में 21% कमी आई है। 2017 के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में भी 51% से भी ज्यादा की कमी आई है लेकिन अभी लगातार ध्यान देने की जरूरत है।
बैठक़ में भाग ले रहे राज्यों के मंत्रियों ने बताया कि वह लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं, उनके नोडल अफसर तय हैं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन कर रहे हैं और सरकारें अपनी ओर से भी जन जागरण के सारे प्रयत्न कर रही हैं।
चौहान ने साथ केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के कृषि मंत्री, दिल्ली के वन पर्यावरण मंत्री, राज्यों के मुख्य सचिव और कृषि सचिव सहित प्रमुख अधिकारी इस बैठक में वर्चुअली शामिल हुए।
चौहान ने बताया कि पराली जलाने से नुकसान होता है, आग लगने से गन्ने के पत्ते या बाकी चीज भी जलती हैं, आग लगने से फसल के अलावा धरती मां का स्वास्थ्य भी बिगड़ा है, कीट भी मारे जाते हैं, धरती कड़ी हो जाती है, उर्वरकता कम होती जाती है।
उन्होंने कहा कि व्यापक पैमाने पर जन जागरण अभियान चल रहा है। उसे और प्रभावी ढंग से केंद्र और राज्य मिलकर कैसे चलाएं, उसका प्रयत्न करेंगे। पिछले वर्षों में सब्सिडी पर केंद्र सरकार ने 3 लाख से ज्यादा मशीनें दी हैं। जो जलाने की बजाए पराली प्रबंधन का काम करती हैं। उन मशीनों का प्रभावी प्रयोग किया जाएगा और किया भी जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कई बार छोटे किसानों तक इन मशीनों की पहुंच नहीं हो पाती है, जिनके पास छोटे खेत होते हैं वे कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीनें लेकर कैसे पराली का प्रबंधन कर पाएं, जैसे पराली को खेत में ही दबा दें तो वह खाद बन जाती है, समस्या की वजह वह वरदान बन जाती है। उस पर भी कैसे छोटे किसानों की पहुंच बढ़े आदि कई विषयों भी बातचीत हुई।
कृषि मंत्री ने बताया कि बायो डी कंपोजर का उपयोग अधिकतम करें, उसे हम मिशन मोड में बढ़ावा देने का प्रयत्न करेंगे। आसपास के उद्योगों की मांग के आधार पर मैपिंग के माध्यम से पराली के XC2 उपयोग को बढ़ावा देने चर्चा हुई, हम मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे जिसके कारण पराली जलाने की घटना पर काबू पा सकें।
उन्होंने कहा कि केवल पराली ही नहीं कई बार पटाखे भी अनियंत्रित संख्या में जलाए जाते हैं तो उसका भी असर पर्यावरण पर बहुत प्रभाव पड़ता है। उसको भी कैसे रोका जाए जैसे अनेकों प्रयत्नों पर बातचीत हुई है। प्रयत्नों के परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं पराली की लगातार जलने की घटनाएं भी कम हो रही हैं और सब ने संकल्प लिया है कि हम प्रभावी उपाय करेंगे जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहे प्रदूषण मानव जीवन के लिए खतरा न बन पाए।
उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों ने अपने अलग-अलग सुझाव दिये हैं जैसे हरियाणा किसानों को पराली ना जलाने के लिए प्रोत्साहन देते हुए अतीरिक्त सुविधाएँ देता है वैसे ही पंजाब भी अपनी तरफ से प्रयास कर रहा है। सभी राज्यों के सुझावों को गम्भीरता से नोट किया है।
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