नई दिल्ली,27 जुलाई (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार को तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में पेइ करुम्बू में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम स्मारक का उद्घाटन किया।
मोदी ने उद्घाटन की रस्म पूरी करने के बाद स्मारक में प्रवेश करने से पहले उसी स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
प्रधानमंत्री डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की प्रतिमा का अनावरण भी किया और उस पर पुष्पांजलि भी अर्पित की ।
इसके बाद प्रधानमंत्री “कलाम संदेश वाहिनी” एक प्रदर्शनी बस को हरी झंडी दिखाई जो देश के विभिन्न राज्यों में यात्रा करने के बाद राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जन्म जयंती 15 अक्टूबर को राष्ट्रपति भवन पहुंचेगी।
इस स्मारक का निर्माण डीआरडीओ द्वारा एक वर्ष में किया गया है। वास्तुशिल्प की दृष्टि से इस स्मारक के निर्माण में अनेक राष्ट्रीय स्मारकों से प्रेरणा ग्रहण की गई है। इसका प्रवेश द्वार इंडिया गेट की तरह दिखाई देता है जबकि इसके दो गुंबद राष्ट्रपति भवन की तरह से बनाये गए हैं।
इस स्मारक के चार मुख्य हॉल हैं।
- हॉल–1 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बाल्यकाल और शिक्षा के चरणों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- हॉल-2 उनके द्वारा संसद और संयुक्त राष्ट्र में उनके अभिभाषण सहित राष्ट्रपति काल के समय पर केंद्रित है।
- हॉल-3 में उनके इसरो और डीआरडीओ के समय का चित्रण किया गया है जबकि
- हॉल-4 में शिलांग में उनके अंतिम क्षणों तक के राष्ट्रपति काल के बाद के क्षणों को प्रदर्शित किया गया है।
डॉ. कलाम की प्रसिद्ध रूद्रवीणा, एसयू-30 एमकेआई फ्लाइट में उनके द्वारा पहना गया जी-सूट और उनके द्वारा प्राप्त अनेक पुरस्कारों सहित उनकी निजी वस्तुओं को दर्शाने के लिए एक अलग से भाग तैयार किया गया है। कलात्मक भित्तिचित्रों से बारह दीवारों को सजाया गया है।
इस स्मारक के लिए निर्माण सामग्री और अन्य सहायक वस्तुओं को भारत के अनेक हिस्सों से रामेश्वरम लाया गया है। शिल्प किए गए अग्रभाग के द्वार तंजावुर से, पत्थर के आवरण जैसलमेर और आगरा से, पत्थर के स्तंभ बेंगलुरु से, मार्बल कर्नाटक से और भित्तिचित्र हैदराबाद, शांति निकेतन, कोलकाता और चेन्नई आदि जगह से लाये गए हैं।
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