नई दिल्ली, 10 मई। केंद्र सरकार कैशलेस इकॉनमी को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ पेपरलेस कामकाज को भी बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय को कागजरहित बनाने के लिए इंटीग्रेटिड केस मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (आईसीएमआईएस) लॉन्च किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कि न्यायपालिका को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए देश को प्रौद्योगिकी की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए कागजरहित होना बेहद जरूरी है।
आईसीएमआईएस मामलों की डिजिटल फाइलिंग यानी ई-फाइलिंग में मदद करती है और वादियों को ऑनलाइन सूचना हासिल करने की सुविधा प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन में एक समारोह में देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में आईसीएमआईएस को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया।
प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में आईसीएमआईएस लॉन्च करते हुए कहा, “न्यायपालिका को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए फोरेंसिक साइंस और प्रौद्योगिकी बेहद जरूरी हैं… दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है और हमें साथ चलना होगा, ताकि हम पीछे न रहें।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम एक ए4 साइज के पेपर का इस्तेमाल करते हैं, तो हम यह नहीं सोचते कि ऐसे एक कागज को बनाने के लिए 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है… कागजरहित होकर हम कई जंगलों, ऊर्जा और पर्यावरण को बचा सकते हैं। कागजरहित प्रणाली में बहुत ताकत है।”
मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी के पास हमारी आर्थिक क्षमता को भी बदलने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि ई-शासन आसान, प्रभावी और किफायती है। यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। पेपरलेस कार्यालयों को पर्यावरण का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब प्रौद्योगिकी की बात आती है, तो यह सच है कि मानसिकता एक समस्या बन गई है। मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी की हमारी समझ केवल हार्डवेयर तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए।
इसी अवसर पर न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर ने कहा कि इस व्यवस्था से पारदर्शिता आएगी, हेरफेर नहीं होगी और वादी को तय समय में अपने मुकदमों की प्रगति के बारे में जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि इसके जरिए केंद्र और राज्य सरकार के विभागों को भी इस बात की जानकारी हो जाएगी कि किस मामले में वो पक्षकार बनें हैं और उसी आधार पर उनकी तैयारी होगी।
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