मोदी की नकदीरहित अर्थव्यवस्था की राह में 5 बड़ी बाधाएं

नई दिल्ली, 3 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश में 27 नवंबर को एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी भारतवासियों से नकदीरहित लेनदेन से परिचित होने को कहा।

इसी दिन रेडियो कार्यक्रम मन की बात में उन्होंने कहा, “लोग नकदीरहित लेनदेन सीखें, क्योंकि यह ज्यादा सुरक्षित और पारदर्शी है।”

मोदी सरकार ने ई-बैंकिंग, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, कार्ड स्वाइप या पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन और डिजिटल वॉलेट की जानकारी देने के लिए विशाल सोशल मीडिया कैंपेंन चलाया है।

हालांकि भारत में अमेरिका से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, लेकिन बहुत कम लोगों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा है। बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण के मुताबिक, देश में करीब 90 फीसदी लेनदेन नकद होते हैं।

नकदीरहित अर्थव्यवस्था की राह की पांच प्रमुख बाधाएं –

1. देश में 34.2 करोड़ इंटरनेट प्रयोक्ता हैं, यानी 27 फीसदी आबादी (ट्राई और केलिनर पर्किं स काउफिल्ड एंड बायर्स के आंकड़ों के मुताबिक), लेकिन दूसरी तरफ 73 फीसदी आबादी या 91.2 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट नहीं है। इंडियास्पेंड की मार्च की रपट में बताया गया कि इंटरनेट प्रयोक्ता का वैश्विक औसत 67 फीसदी है। इसमें भारत विकसित देशों से तो पीछे है ही, नाइजीरिया, केन्या, घाना और इंडोनेशिया से भी पिछड़ा है।

2. स्मार्टफोन केवल 17 फीसदी लोगों के पास हैं। यह कम आय वर्ग में केवल सात फीसदी तथा अमीरों में 22 फीसदी लोगों के पास है।

3. 1.02 अरब लोगों के पास ब्राडबैंड है, लेकिन केवल 15 फीसदी भारतीयों को ही उपलब्ध है। इनमें ट्राई के मुताबिक 90 फीसदी कनेक्शन ही चालू हैं।

4. मोबाइल इंटरनेट की धीमी स्पीड- भारत में पेज लोड होने का औसत समय 5.5 सेकेंड है, जबकि चीन में 2.6 सेकेंड और दुनिया में सबसे तेज इजरायल में 1.3 सेकेंड है। श्रीलंका और बांग्लादेश में भी भारत से ज्यादा क्रमश: 4.5 और 4.9 सेकेंड है।

5. देश में प्रति 10 लाख की आबादी पर महज 856 पीओएस मशीनें हैं। आरबीआई की अगस्त 2016 की रपट के मुताबिक कुल 14.6 लाख पीओएस मशीनें हैं। ब्राजील जिसकी आबादी भारत से 84 फीसदी कम है, 39 गुणा अधिक पीओएस मशीनें हैं।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यह इंडियास्पेंड का निजी विचार है।)

–आईएएनएस