राजसमन्द 13 जुलाई (जनसमा)। एक समय था जब जमीन के रिकार्ड दर्ज करते समय पटवारी रिश्ते ही बदल देते थे। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें पिता-पुत्री के नाम को रिकार्ड में पति-पत्नी के रूप में दर्ज कर दिया गया।
एक ऐसा ही 50 साल से ज्यादा पुराना मामला राजस्थान की एक लोक अदालत में सुलझाया गया।
हाल ही राजसमन्द पंचायत समिति अन्तर्गत साकरोदा में आयोजित राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर में एक ऎसा मामला सामने आया जिसमें मेवाड़ सैटलमेंट सन् 1948 में माणी पुत्री घासी राम ब्राह्मण श्रीमाली निवासी पुनावली के नाम पर खुदकाश्त की ग्राम पुनावाली में एक बीघा कृषि भूमि खाते में रही।
सैटलमेंट के दौरान संबत 2023 (सन् 1965-66) में गलती से माणी और घासीराम के पिता पुत्री के रिश्ते को पति पत्नी के रूप में परिर्वतित कर दिया। माणी बाई अपने पिता की अकेली संतान थी। उसकी ससुराल टांटोल गांव में थी। बालपन में ही उसके पति का देहांत हो गया । वह अपने पीहर पुनावली गांव लौट आई और यहीं रहने लगी। 10 फरवरी 2006 को उसका देहांत होगया।
वर्तमान जमाबंदी में माणी बाई बेवा घासीराम नाम ही चलता रहा। इनके परिवारजन माणी बाई के नामान्तरकरण के लिए वर्षों से भटक रहे थे। भटकते-भटकते मार्च 2017 में वारिसों ने राजसमन्द एसडीओ न्यायालय में दावा भी किया।
यह मामला ” न्याय आपके द्वार” में साकरोदा में लगे शिविर में उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल के समक्ष आया। उन्होंने गंभीरतापूर्वक पूरे मामले को सुना व तथ्यों का अवलोकन किया।
शिविर के दौरान मजमे आम में तथ्यों की ताईद होने पर मुकदमे का निस्तारण करते हुए धारा 88 राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 एवं हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 एवं 8 के तहत पिता-पुत्री के संबंध को सुधारते हुए माणी के विधिक वारिसान के नाम नामान्तरकरण दर्ज करने के आदेश जारी किये गए।
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