भोपाल, 17 मई (जनसमा)। पर्यावरण सुरक्षा, जन-स्वास्थ्य एवं जीव-जन्तुओं के जीवन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम-1981 के तहत मध्यप्रदेश में धान एवं गेहूँ की फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों (नरवाई) को जलाना प्रतिबंधित किया गया है।
ट्रिब्यूनल के निर्णय के अनुसार राज्य के पर्यावरण विभाग ने इस संबंध में सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने सभी कलेक्टर्स को अधिसूचना के निर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश जारी कर दिया है।
विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार अधिसूचना के निर्देश के अनुरूप कार्यवाही का दायित्व जिला दण्डाधिकारी का निर्धारित किया गया है। अधिसूचना के प्रावधानों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति या निकाय को पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी। इसके अनुसार दो एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान से नरवाई जलाने पर 2500 रुपये, दो से अधिक एवं पाँच एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान से नरवाई जलाने पर 5 हजार रूपये एवं पाँच एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसान से 15 हजार रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली जायेगी।
उल्लेखनीय है कि नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ पशु-पक्षियों की जान का खतरा होता है। कभी-कभी मानव हानि भी होती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति, सूक्ष्म जीवाणु एवं आर्दता खत्म होने से फसल की उत्पादकता भी कम होती है।
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