रायपुर, 12 अगस्त (जस)। केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्रा के मुख्य आतिथ्य और छत्तीसगढ़ के के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को दुर्ग जिले के औद्योगिक परिक्षेत्र बोरई के ग्राम रसमड़ा में टूल रूम (एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर) का शिलान्यास किया गया। इस सेंटर का निर्माण 110 करोड़ रूपए की लागत से 25 एकड़ परिक्षेत्र में किया जा रहा है। यह सेंटर टेक्नोलॉजी और कौशल उन्नयन की दृष्टि से नये उद्यमियों के लिए सार्थक उपयोगी साबित होगा। इससे नये उद्योग स्थापित करने वाले तथा उद्योग के क्षेत्र में रोजगार की चाह रखने वाले युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और उद्योग की बारिकियों को समझने में मदद मिलेगी।
शिलान्यास कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्रा ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में टूल रूम महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। इन सेंटर में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से संबंधित मशीनों तथा उद्योग संबंधी जानकारियां से उद्यमियों को प्रशिक्षित किया जाता है। मशीनों के अध्ययन तथा इससे संबंधित बारीकियों को सीखने का अवसर उद्यमियों को मिलता है। टूल रूम ऐसे उद्यमियों के लिए भी सहयोगी होता है, जो अपना उद्योग व व्यवसाय स्थापित करना चाहते हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की सरकार के कार्यकाल में देश में 18 टूल रूम की स्थापना की गई थी। इसके पश्चात् प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने में देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और उनके विकास के लिए काफी कार्य किया जा रहा है। स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे प्रयास इस दिशा में काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोगों को आधुनिक तकनीकी प्रणाली के माध्यम से उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पूरे देश में सबसे अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम प्रकार के उद्योगों की इकाईयां है, जिससे 14 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की लम्बे वर्षों की मांग आज पूरा हो रही है। दुर्ग-भिलाई क्षेत्र वर्षों से औद्योगिक क्षेत्र रहा है। उद्यमियों की भविष्य और कौशल को बढ़ावा देने में इससे मदद मिलेगा। सैकड़ों उद्योगपतियों, इस क्षेत्र में रोजगार तलाश रहे युवाओं, अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को प्रशिक्षण व वृहद सुविधा उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही सतत् रूप से हजारों छोटे उद्योगों के स्थापित होने और रोजगार को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगा।
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