नई दिल्ली, 18 अप्रेल । आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की घोषणा में कोई नया पन न होकर, केवल पुरानी बातों को ही दोहराया गया है । उसने तीन तलाक को नाजायज ठहराने की बजाए, केवल बे-बजह तलाक लिया जाता है, तो समाज उसका बहिष्कार करेगा, यह कहा है। वह बे-बजह है कि नहीं, यह तय करने का अधिकार भी फिर उन्हीं मुल्ला-मौलवियों का ही होगा। मुस्लिम ला बोर्ड ही सभी मुस्लिम समस्याओं की जड़ है।
फोटो : आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी 16 अप्रैल, 2017 को लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए। (आईएएनएस)
विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा सुरेन्द्र जैन ने कहा कि तलाक देने का अधिकार महिलाओं को भी उतना ही मिले जितना पुरुषों को है, किन्तु, ये उसके लिए तैयार ही नहीं हैं। ऊपर से, हलाला जैसी बर्बर अमानवीय परम्परा को भी उचित ठहराकर इन लोगों ने महिलाओं के प्रति अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करा दिया है। इसलिए, मुस्लिम महिलाओं को मानवाधिकार दिलाने हेतु अब केंद्र सरकार को ही आवश्यक कानून अविलम्ब बनाने चाहिए।
बोर्ड के राम मन्दिर संबंधी बयान पर अपनी प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए डा जैन ने कहा कि इस मामले में भी बोर्ड ने अपनी हठ-धर्मिता को ही दोहराया है । वे राम जन्म भूमि के मामले में तो न्यायालय का निर्णय चाहते हैं किन्तु तीन तलाक में न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं। उनकी इस दोहरी मानसिकता से ही स्पष्ट हो जाता है कि वे न्यायपालिका का कितना सम्मान करते हैं?
डा जैन ने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अब दिवालिया हो चुका है, जिसका मुस्लिम समाज में न कोई जनाधार है और न ही यह सम्पूर्ण मुस्लिम समाज की भावनाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है.।
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