प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 दिसंबर को ‘मन की बात’ के प्रसारण में कहा कि यदि कोई मुस्लिम महिला, हज-यात्रा के लिए ‘महरम’ या अपने पुरूष गार्जियन के बिना जाना चाहती है तो अब जासकती है।
मुझे खुशी है कि इस बार लगभग तेरह सौ (1300) मुस्लिम महिलाएँ ‘महरम’ के बिना हज जाने के लिए apply कर चुकी हैं और देश के अलग-अलग भागों से- केरल से ले करके उत्तर तक महिलाओं ने बढ़-चढ़ करके हज-यात्रा करने की इच्छा ज़ाहिर की है
प्रधानमंत्री ने कहा ” हमारी जानकारी में एक बात आयी कि यदि कोई मुस्लिम महिला, हज-यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह ‘महरम’ या अपने पुरूष गार्जियन के बिना नहीं जा सकती है। जब मैंने इसके बारे में पहली बार सुना तो मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसे नियम किसने बनाए होंगें? ये discrimination क्यों? और मैं जब उसकी गहराई में गया तो मैं हैरान हो गया – आजादी के सत्तर (70) साल के बाद भी ये restriction लगाने वाले हम ही लोग थे।”
नरेन्द्र मोदी ने कहा दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था लेकिन कोई चर्चा ही नहीं थी। यहाँ तक कि कई इस्लामिक देशों में भी यह नियम नहीं है। लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त नहीं था।”
प्रधानमंत्री ने कहा मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने इस पर ध्यान दिया। हमारी Ministry of Minority Affairs ने आवश्यक कदम भी उठाए और ये सत्तर(70) साल से चली आ रही परंपरा को नष्ट कर के इस restriction को हमने हटा दिया।
प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को मैंने सुझाव दिया है कि वो यह सुनिश्चित करें कि ऐसी सभी महिलाओं को हज जाने की अनुमति मिले जो अकेले apply कर रही हैं। आमतौर पर हज-यात्रियों के लिए lottery system है लेकिन मैं चाहूँगा कि अकेली महिलाओं को इस lottery system से बाहर रखा जाए और उनको special category में अवसर दिया जाए।
मैं पूरे विश्वास से कहता हूँ और ये मेरी दृढ़ मान्यता है कि भारत की विकास यात्रा, हमारी नारी-शक्ति के बल पर, उनकी प्रतिभा के भरोसे आगे बढ़ी है और आगे बढ़ती रहेगी। हमारा निरंतर प्रयास होना चाहिए कि हमारी महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर समान अधिकार मिले, समान अवसर मिले ताकि वे भी प्रगति के मार्ग पर एक-साथ आगे बढ़ सकें।
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