Justice_Kovind

मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या हम, सभी के लिए न्याय सुलभ करा पा रहे हैं

“मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या हम, सभी के लिए न्याय (justice) सुलभ करा पा रहे हैं? ”

यह सवाल राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द (Ram Nath kovind) ने शनिवार, 07 दिसंबर, 2019 को राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court ) के नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर ‘सन सिटी’ (Sun city) जोधपुर (Jodhpur) में किया और कहा कि संविधान (Constitution) की प्रस्तावना में ही हम सब ने, सभी के लिए न्याय (justice)  सुलभ कराने का दायित्व स्वीकार किया है।

उन्होंने इतिहास के संदर्भ की चर्चा करते हुए कहा कि पुराने समय में, राजमहलों में न्याय (justice) की गुहार लगाने के लिए लटकाई गई घंटियों का उल्लेख होता रहा है। कोई भी व्यक्ति घंटी बजाकर राजा से न्याय (justice) पाने के लिए प्रार्थना कर सकता था। क्या आज कोई गरीब या वंचित वर्ग का व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर यहां आ सकता है?

राष्ट्रपति  कोविन्द ने अपने वकालत के समय की चर्चा करते हुए कहा कि निशुल्क कानूनी सहायता ( free legal aid) के मुद्दे को मैं बहुत अहमियत देता हूँ। शायद आप जानते भी हों कि जब मैं दिल्ली हाई कोर्ट में और बाद में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करता था, तब मुझे समाज के कमजोर वर्गों, खास तौर से महिलाओं और गरीबों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का अवसर मिला।

राष्ट्रपति  कोविन्द ने  कहा कि संविधान में एक ऐसी न्यायपालिका की परिकल्पना की गई है जो यह सुनिश्चित करती है कि सत्य की हमेशा विजय हो और असत्य की पराजय हो।

राष्ट्रपति  कोविन्द ने  कहा कि जिस तरह यह भवन, सुदृढ़ नींव पर टिका हुआ है उसी तरह हमारी न्याय (justice) प्रणाली भी सत्य की आधारशिला पर टिकी हुई है।

राष्ट्रपति  ने सुझाव दिया कि आम लोगों को न्याय (justice)  व्यवस्था में पूर्ण रूप से भागीदार बनाने के लिए बार और बेंच की युवा पीढ़ी अनेक नए और रचनात्मक समाधान उपलब्ध करा सकती है।

राजस्थान उच्च न्यायालय का यह नया भवन बहुत भव्य है। इसका गोल आकार संसद भवन परिसर की याद दिलाता है। इसके बीचों-बीच बना गुंबद आलीशान है, और इसे मारवाड़ शैली में फूलों की पारंपरिक चित्रकारी से सजाया गया है। मुझे बताया गया है कि यह पूरा स्थापत्य कुल 288 स्तंभों पर टिका हुआ है। ये स्तम्भ जोधपुर के सुप्रसिद्ध ‘चित्तर’ पत्थर से बने हैं।