नई दिल्ली, 3 सितम्बर | दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत के प्रभाव में वृद्धि का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत तथा वियतनाम को साझेदार के रूप में क्षेत्रीय चुनौतियों का संयुक्त रूप से सामना करना चाहिए। वियतनाम के प्रधानमंत्री गुएन शुआन फुक की मेजबानी में एक भोज के दौरान अपने भाषण में मोदी ने कहा, “दो साझेदार के रूप में हमें उभरती क्षेत्रीय चुनौतियों से संयुक्त तौर पर निपटने तथा नए अवसरों के दोहन के लिए अपनी साझेदारी का लाभ उठाना चाहिए।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 सितंबर, 2016 को वियतनाम के प्रधानमंत्री गुएन शुआन फुक के साथ संयुक्त मीडिया वर्ता में बोलते हुए।
उन्होंने कहा, “यह बेहद संतुष्टि का विषय है कि हमने अब अपने संबंधों को बढ़ाकर व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक ले जाने का फैसला किया है।”
वियतनाम दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के लिए भारत का कंट्री कोऑर्डिनेटर है।
शुक्रवार को यहां पहुंचे मोदी ने कहा, “भारत-वियतनाम के बीच मजबूत साझेदारी से हमारे लोगों तथा पूरे क्षेत्र की समृद्धि, विकास, शांति व स्थिरता सुनिश्चित होगी।”
उन्होंने कहा, “भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का वियतनाम का एक प्रमुख स्तंभ है।”
मोदी ने कहा, “हमारे द्विपक्षीय संबंध पारस्परिक दृढ़ विश्वास, समझ तथा विभिन्न क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों में समानता पर आधारित है।”
मोदी ने दोनों देशों की जनता के बीच सदियों पुराने आदान-प्रदान का संदर्भ किया।
उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच संबंधों की जड़ इतिहास व सभ्यता में निहित है, जो 2,000 साल पुराना है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ये सांस्कृतिक संबंध कई प्रकार से सामने आते हैं, खासकर बौद्ध तथा हिंदू चाम सभ्यता के स्मारकों को जोड़ने में।”
उन्होंने कहा, “भारत में हम ज्ञान, अनुभव व विशेषज्ञता को साझा करने में विश्वास रखते हैं। बीते चार दशकों में वियतनाम के साथ बहुमुखी द्विपक्षीय सहयोग की सफलता की तुलना में इससे बेहतर उदाहरण और कोई नहीं हो सकता।”
इस संबंध में प्रधानमंत्री ने भारत की सहायता से मेकॉन्ग डेल्टा में बने कू लॉन्ग राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट का संदर्भ दिया।
उन्होंने कहा, “भारत ने मेकॉन्ग डेल्टा में संस्थान स्थापित करने में मदद की और कृषि विशेषज्ञों को भेज रहा है तथा भारत में इसके संकाय (फैकल्टी) को प्रशिक्षित कर रहा है।”
मोदी ने कहा, “आज की तारीख में वियतनाम दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है। वियतनाम के चावल के सबसे बड़े उत्पादक तथा निर्यातक के रूप में उभरने में मदद कर हमें बेहद खुशी हो रही है।”
इससे पहले शनिवार को मोदी व फुक के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद भारत और वियतनाम ने 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें गश्ती नौकाओं तथा साइबर सुरक्षा से जुड़े समझौते शामिल हैं।
समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद एक संयुक्त बयान में मोदी ने कहा कि भारत ने रक्षा क्षेत्र में वियतनाम को 50 करोड़ डॉलर का ऋण (लाइन ऑफ क्रेडिट) देने की घोषणा की।
बीते 15 वर्षो के दौरान यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला द्विपक्षीय वियतनाम दौरा है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2001 में वियतनाम की यात्रा की थी। –आईएएनएस
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