मध्यप्रदेश में करीब छह माह चली ‘नर्मदा सेवा यात्रा’ की पूर्णता का अवसर है। पीछे जाकर देखें तो हम पाएंगे कि इस यात्रा ने अनेक वर्गों को आपस में जोड़ने का कार्य भी किया है। कहने को यात्रा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की दृष्टि से बहुत अहम मानी जा रही है। यह सत्य भी है। मैं इस यात्रा का एक ओर पहलू देखता हूँ जो संभवत: इस यात्रा की बहुत बड़ी उपलब्धि भी है, वह है – यात्रा के माध्यम से अनेक वर्गों और समुदायों का एक मंच पर आ जाना। इस उपलब्धि के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की खुले दिल से प्रशंसा की जानी चाहिए। वास्तव में पूरे देश में ‘नमामि देवि नर्मदे’-सेवा यात्रा की प्रशंसा हो भी रही है। करीब दो सौ देशों तक हमारा संदेश पहुँच गया है। मध्यप्रदेश सरकार के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नर्मदा यात्रा की पूर्णता पर अमरकंटक पहुँच रहे हैं।
आज वैश्वीकरण के दौर में प्रगति के बावजूद मानवीय मूल्यों की जो क्षति हो रही है, उसकी भरपाई करने में नर्मदा यात्रा जैसे अभियान बहुत उपयोगी हैं। सूचना-प्रौद्योगिकी के बढ़ते चलन और आधुनिक युग में पनपी संस्कृति के चलते परस्पर मेलजोल, वार्तालाप और मिलकर कार्य करने की भावना कम होती जा रही है। ऐसे दौर में एक यात्रा किस तरह लोगों को आपस में जोड़ देती है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है – नर्मदा सेवा यात्रा।
वो नदी जिसका कंकर-कंकर शंकर है, आज पूरे विश्व की ओर अपना ध्यान आकर्षित कर रही है। एक नदी के समर्थन में उमड़ते जनसैलाब का पूरा विश्व साक्षी बना है। अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आध्यात्मिक संत, विद्वान, कलाधर्मी और राजनेता नर्मदा सेवा यात्रा के साक्षी बने हैं। यह भी एक तरह की ईश्वर की कृपा कही जाएगी कि विपरीत मौसम की बाधाओं ने भी इस यात्रा के प्रवाह को प्रभावित नहीं किया। पिछले हफ्ते ही अनूपपुर जिले के खेतगाँव में जब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह पहुँचे तब आँधी और बारिश ने कुछ क्षण विचलित किया होगा, लेकिन पूरा कार्यक्रम बिना बाधा के संपन्न हुआ। यात्रा में जोशो-खरोश से हर व्यक्ति शामिल हुआ है। लगातार डेढ़ सौ दिन से नर्मदा सेवा यात्रियों की बस चला रहे हाजी नफीस अहमद हों या जगह-जगह ग्रामों में नर्मदा यात्रियों को भोजन परोसते नन्हे-मुन्ने बच्चे, सभी का उत्साह देखते ही बनता था।
यात्रा के शुरूआती दिनों में जबलपुर के पास ग्राम घाना में संत देव प्रभाकर शास्त्री दद्दाजी के आशीर्वाद से पार्थिव शिवलिंग निर्माण महारूद्र यज्ञ भी हुआ। तब भक्ति, आस्था, श्रद्धा, विश्वास और संकल्प का मानो सैलाब उमड़ पड़ा। इसी तरह यात्रा में योगगुरू बाबा रामदेव के अलीराजपुर पहुँचने पर 20 फरवरी को नगर में पतंजलि विद्यालय शुरू करने की घोषणा हुई। एलोवेरा, आँवला और हर्बल प्लांट लगाने वाले किसानों से बातचीत करते हुए बाबा रामदेव ने उन्हें आर्थिक समृद्धि का मंत्र दिया। इसके अलावा महंत कमल गिरि जो तिलक बाबा के नाम से लोकप्रिय हुए, यात्रा के दौरान लाखों लोगों को तिलक लगाकर नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ रखने का संदेश देते रहे। यही नहीं स्वामी अखिलेश्वरानंद, सदगुरू जग्गी वासुदेव, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और अन्य अनेक संत यात्रा में पहुँचकर जनता का उत्साहवर्धन करते रहे। जो प्रख्यात लोग यात्रा से परोक्ष रूप से जुड़े रहे उनकी संख्या भी सैकड़ों में है। मध्यप्रदेश में जन्मी ख्यात गायिका लता जी और अभिनेता अमिताभ बच्चन भी भावनात्मक रूप से इस सार्थक यात्रा को समर्थन दे चुके हैं। इस उद्देश्यपूर्ण यात्रा के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बधाई दी है।
अब यात्रा पूर्णता की ओर है तो यह देखा जा रहा है कि नर्मदा मैया के दोनों किनारों पर सघन वृक्षारोपण के लिए एक-एक ग्रामवासी मनसा, वाचा कर्मणा तैयार हो चुका है और क्यों न हो \ नर्मदा मैया से लगे जिलों में आप कृषि और उद्यानिकी विकास के ऐसे उदाहरण पाएंगे कि दाँतों तले अंगुली दबानी पड़ेगी। कश्मीर में होने वाले सेब उत्पादन की तरह अनूपपुर जिला नाश्पाती उत्पादन के लिए तैयार हो चुका है। इसी तरह खरगोन और बड़वानी जिलों में अनेक स्थानों पर केसर का उत्पादन किया जाता है। आगामी दो जुलाई को वृहद पैमाने पर वृक्षारोपण के बाद आने वाले कुछ समय में नर्मदा घाटी की नई पहचान सामने आएगी।
नर्मदा जल हमारे प्रदेश को खेती-किसानी में पंजाब और हरियाणा से आगे ले जाने का कार्य कर रहा है। पेयजल और उद्योगों को पानी उपलब्ध करवाने के लिए भी नर्मदा मैया सदैव उपयोगी रही हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और व्यावसायिक राजधानी इंदौर सहित कई नगरों-कस्बों में पीने के पानी का प्रबंध माँ नर्मदा के आशीर्वाद से संभव हुआ। बीते साल सिंहस्थ को सफलता से सम्पन्न करवाने नर्मदा मैया उज्जैन तक आईं। करोड़ों श्रद्धालुओं को स्नान का पुण्य प्राप्त हुआ। नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान एक बड़ा संदेश नशे के खिलाफ भी सामने आया है। नर्मदा से लगे इलाकों की मदिरा की दुकानें हट गई हैं। प्रदेश की जीवन रेखा की पवित्रता बनाए रखने के लिए जनमानस बन गया है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने 28 अप्रैल को इस यात्रा में शामिल होने के बाद एलान किया कि वे उत्तरप्रदेश में ‘नमामि गंगे योजना’ चलाएंगे। आज मध्यप्रदेश अधोसंरचना विकास, आम आदमी की जिंदगी खुशहाल बनाने के सफल प्रयासों का उदाहरण बनने के साथ ही नर्मदा यात्रा की वजह से विश्व के नक्शे पर अलग स्थान बनाने में भी कामयाब हुआ है। इसका श्रेय सक्षम नेतृत्व के साथ ही नर्मदा यात्रा में भागीदारी करने वाले हर आमो-खास को दिया जा सकता है।
– डॉ. नरोत्तम मिश्र
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