सुप्रसिद्ध लेखक, साहित्यकार, चित्रकार और पर्यावरण संरक्षक नर्मदा पुत्र अमृतलाल वेगड़ का शनिवार को जबलपुर में देहांत होगया। वे 90 साल के थे।
मध्य प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने नर्मदा पुत्र अमृतलाल वेगड़ के देहावसान पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
राज्यपाल ने शोक संदेश में कहा है कि अमृतलाल वेगड़ विभिन्न प्रतिभाओं के धनी थे। वेगड़ की नर्मदा पर लिखी पुस्तकें युवा पीढ़ी को सदैव प्रेरणा देती रहेंगी।
राष्ट्रपति और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमृतलाल वेेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर,1928 को मिस्त्री परिवार में कच्छ के माधापार गांव में हुआ था। उनके पिता गोवामल जीवन वेगड रेलवे ठेकेदार थे। वे अपने कामकाज के कारण जबलपुर में बस गए थे।
वेगड की शिक्षा दीक्षा विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन में हुई थी।
शांतिनिकेतन में 1948 से 1953 के दौरान उनके शिक्षक थे महान् चित्रकार नंदलाल बोस।
फोटो विकिपीडिया से साभार
उन्हें नर्मदा पुत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने नर्मदा नदी की 4,000 किलोमीटर लंबी पैदल परिक्रमा की थी। वह भी अपनी 50 साल की आयु के पहले अपनी पत्नी कांता के साथ। उन्होंने 88 वर्ष की उम्र तक अपनी नर्मदा यात्रा जारी रखी।
वे देश के ऐसे पहले लेखक और कलाकार थे जिन्होंने मध्य प्रदेश में नर्मदा के उद्गम अमरकंटक से गुजरात के भरूच तक नर्मदा की परिक्रमा की, चित्र बनाये और यात्रा वृतांत लिखकर नर्मदा नदी संस्कृति के अनेक अनछुए पहलू लोगों के सामने रखे।
अमृतलाल वेगड़ गुजराती और हिन्दी भाषी थे। उन्होंने नर्मदा नदी से संबंधित कई पुस्तकें लिखी। उनकी पुस्तकों का अनुवाद गुजराती (स्वयं द्वारा), अंग्रेजी, बंगाली और मराठी भाषाओं में भी किया गया है।
गुजराती में लिखे उनके यात्रा वृत्तांत की पुस्तक ‘सौन्दर्य नी नदी नर्मदा’ के लिए सन् 2004 में केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
उन्हें मध्य प्रदेश राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार, महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार और राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
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