नसीमुद्दीन के मायावती पर बड़े आरोप, कहा- मायावती ने 50 करोड़ मांगे

लखनऊ, 11 मई (जनसमा)। कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में ऊँचा कद रखने वाले और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी गुरूवार को बागी तेवर में नजर आए।

उन्होंने लखनऊ में अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मायावती ने मुझ पर झूठे आरोप लगाकर पार्टी से निकाला है क्योंकि मायावती ने कांशीराम के बारे में जो कहा मैंने उसका विरोध किया था।

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने मायावती को हार के कारणों के बारे में बताया था जिस पर वह नाराज हो गई थीं। उन्होंने यह भी कहा कि मायावती ने उनसे 50 करोड़ रुपये की मांग की। सिद्दीकी ने कहा, “मैंने कहा कि मैं 50 करोड़ रुपये कहां से लाऊं तो मायावती ने कहा कि अपनी प्रॉपर्टी बेच दो। मैंने कहा कि अगर मैं अपनी प्रॉपर्टी बेच भी दूंगा तो 50 करोड़ का चौथाई भी हो जाए तो बड़ी बात है।”

संवाददाता सम्मेलन में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती पर आरोप लगाया कि मायावती ने मुसलमानों को गद्दार कहा था। सिद्दीकी के अनुसाार, ‘‘मायावती ने मुझसे पूछा था कि मुसलमानों ने बीएसपी को वोट क्यों नहीं दिए? इसके बाद उन्होंने मुस्लिमों को दाढ़ी वाले कहते हुए और भी गलत शब्द कहे। मैंने इसका विरोध किया था।”

साथ ही सिद्दीकी ने कहा, “बसपा को जान-बूझकर तबाह किया जा रहा है। सतीश चंद्र म‍िश्रा एंड कंपनी पार्टी को खत्म कर रही है। सतीश मिश्रा 2003 से पार्टी में हैं और मैं 1983 से हूं। म‍िश्रा जी ने जो मुझ पर बूचड़खाने चलाने का आरोप लगाया है अगर एक भी हो तो बता दें।”

सिद्दीकी ने 1996 के उत्तर प्रदेश विधानसभा का जिक्र करते हुए कहा, “उस चुनाव में मायावती बदायूं के बिल्सी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही थीं। उस समय मायावती ने मुझे अपना चुनाव इंचार्ज बनाया था। उस समय मेरी सबसे बड़ी बेटी की तबियत खराब चल रही थी। पत्नी ने फोन पर रो-रोकर कहा कि लौट आइए, बेटी आखिरी सांसें ले रही है। जब इस बारे में मैंने मायावती से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि चुनाव फंसा हुआ है। तुम ही मेरे इलेक्शन एजेंट और इलेक्शन इंचार्ज हो। तुम्हारे जाने का मतलब चुनाव हारना है।”

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा,, “मायावती ने उस समय स्वार्थवश मुझे जाने नहीं दिया और इलाज के अभाव में मेरी बेटी की मौत हो गई। यही नहीं, मायावती ने अंतिम संस्कार में भी नहीं जाने दिया। इस तरह मैं अपनी बेटी का मरा मुंह भी नहीं देख सका। ये तो मेरी लाखों कुर्बानियों की एक बानगी है।”

उन्होंने यह भी कहा, “मैं समझता हूं कि इस निष्कासन से मेरे व मेरे परिवार की और मेरे सहयोगियों की बहुजन समाज पार्टी में 34-35 साल की कुबार्नी का सिला मुझे दिया गया है। मैंने इस मिशन के लिए और मायावती के लिए खासतौर पर इतनी कुबार्नी दी है, जिसकी मैं गिनती नहीं कर सकता। मायावती, उनके भाई आनंद कुमार और सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा अवैध रूप से, अनैतिक रूप से और मानवता से परे कई बार ऐसी मांगें की गईं, जो मेरे बस में नहीं थीं। कई बार मुझे मानसिक प्रताड़ना दी गई, टार्चर किया गया। जिसके पुख्ता प्रमाण मेरे पास हैं।”