नई दिल्ली, 30 नवंबर| सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि देशभर के सिनेमा घरों में फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान बजाए जाएं। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि इस दौरान रूपहले पर्दे पर तिरंगे की तस्वीर होनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान बजने के दौरान हॉल में उपस्थित सभी लोगों का सम्मान स्वरूप खड़ा होना आवश्यक है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने कहा कि इससे सांविधानिक देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना मन में घर करेगी।
पीठ ने कहा, “संविधान में अंतर्निहित आदर्शो का पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है और इसी तरह राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान प्रकट करें।”
अदालत ने श्याम नारायण चौकसे की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचिका में राष्ट्रगान बजाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रगान का व्यावसायिक दुरुपयोग नहीं किया जाए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रगान का नाटकीय रूपान्तरण नहीं होना चाहिए और किसी भी आवांछित वस्तु पर यह मुद्रित नहीं होना चाहिए।
अदालत ने राष्ट्रगान को संक्षेप में बजाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। अदालत का यह आदेश 10 दिनों में लागू होगा। –आईएएनएस
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