नई दिल्ली, 26 जुलाई। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने अब तक 9 करोड़ पांडुलिपियां संरक्षित की हैं। मिशन ने भारत में 100 से अधिक पांडुलिपि संसाधन केन्द्र और पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र स्थापित किए हैं।
यह जानकारी केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
इसका मुख्य उद्देश्य भारत की पांडुलिपि विरासत का दस्तावेजीकरण, संरक्षण, डिजिटलीकरण और ऑनलाइन प्रसार करना है।
मिशन ने पांडुलिपि संरक्षण केन्द्रों (एमसीसी) और पांडुलिपि संसाधन केन्द्रों (एमआरसी) के नेटवर्क के माध्यम से भारत की समृद्ध पांडुलिपि विरासत को संरक्षित, दस्तावेजित और प्रसारित किया है। जिसका विवरण नीचे दिया गया है :
- मिशन ने देश भर में लगभग 5.2 मिलियन पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण किया है।
- इसने 90 मिलियन पांडुलिपियों को संरक्षित किया है।
- मिशन ने 3.5 लाख पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया है जिनमें 3.5 करोड़ पृष्ठ हैं।
- मिशन ने 100 से अधिक संरक्षण कार्यशालाएं आयोजित की हैं।
- इसने अपने वेब पोर्टल पर लगभग एक लाख चालीस हजार पांडुलिपियाँ अपलोड की हैं, जिनमें से पचहत्तर हजार पांडुलिपियाँ अनुसंधान समुदाय और आम जनता तक मुफ्त पहुँच हेतु ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है।
- अपनी स्थापना के बाद से इसने 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं।