नई दिल्ली, 17 मार्च | रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर राजनीतिक दलों को एक दूसरे पर हमला करना चाहिए। रक्षा मंत्रालय की अनुदान मांग पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय तैयारी राजनीतिक मुद्दे नहीं हैं।”
जेटली ने कहा, “कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो दशकों से बनी हुई हैं और साथ ही साथ कुछ अच्छी व्यवस्थाएं भी दशकों से बनी हुई हैं।”
रक्षा मंत्री ने सदन को भरोसा दिया कि भारतीय सेना राष्ट्रीय सुरक्षा को आसन्न किसी भी खतरे का सामना करने के लिए ‘पूरी तरह से तैयार’ है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार रक्षा खरीद पर तेजी से काम कर रही है और सेनाओं की जरूरत से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
जेटली ने कहा, “सरकारी खरीद प्रक्रिया जारी है। हम इसे तेज करने का प्रयास कर रहे हैं। सेना की किसी भी महत्वपूर्ण जरूरत से समझौता नहीं किया जाएगा, चाहे हमें किसी अन्य व्यय में कटौती करनी पड़े।”
इससे पहले कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार रक्षा मंत्रालय पर ध्यान नहीं दे रही है। सिंधिया ने पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के दिल्ली में मौजूद नहीं रहने को लेकर भी सवाल उठाया।
सिंधिया ने कहा, “प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपकी राष्ट्रभक्त सरकार कहां है, हम रक्षा में प्रगति क्यों नहीं ला पा रहे हैं? इसका जवाब रहस्यमय नहीं है, साफ है कि समस्याएं तभी सुलझ सकेंगी जब रक्षा मंत्री दिल्ली में मौजूद होंगे।”
इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा आपत्ति जताने पर सिंधिया ने कहा, “मैं उस (मनोहर पर्रिकर) रक्षा मंत्री की बात कर रहा हूं, मैं जानता था कि आप कूद पड़ेंगे।”
सिंधिया ने पठानकोट आतंकी हमले के बाद पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फिलीप कैम्पोस (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में बनी जांच समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “पठानकोट हमले के बाद लेफ्टिनेंट जनरल कैम्पोस के अधीन एक समिति गठित की गई। उसने रिपोर्ट दिया जो अभी भी धूल फांक रही है और देश में उड़ी और नगरौटा हमले हो गए।”
इस चर्चा का जवाब बाद में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे द्वारा दिया जाएगा। –आईएएनएस
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