नई दिल्ली, 25 अगस्त | भारत की स्कॉर्पीन पनडुब्बी से जुड़े दस्तावेजों के लीक होने की खबर सामने आने के बाद भारतीय नौसेना ने गुरुवार को कहा कि इस मुद्दे को फ्रांस की सरकार के सामने उठाया है। यहां जारी एक बयान में भारतीय नौसेना ने कहा है कि फ्रांस सरकार के आर्मामेंट्स के साथ इसे उठाया गया है, इस घटना को लेकर चिंता जताई गई है और फ्रांस सरकार से आग्रह किया गया है कि वह इसकी तत्परता से जांच कराए और भारतीय पक्ष से अपना निष्कर्ष साझा करे।
बताया जाता है कि भारत में बनाए जा रहे स्कॉर्पीन पनडुब्बी की डिजाइन तैयार करने वाली फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस से इस बन रही पनडुब्बी की 22 हजार पेज से अधिक सूचनाएं लीक हो गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने भारतीय नौसेना से इस लीक के बारे में डीसीएनएस से पूछने को कहा था।
बयान में कहा गया है कि आंतरिक प्रक्रिया की लेखा जांच भी शुरू की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सुरक्षा में कोई चूक तो नहीं है।
नौसेना ने कहा, मामले को कूटनीतिक सूत्रों के जरिए संबंधित विदेश सरकारों के समक्ष उठाया जा रहा है, ताकि खबरों की प्रामाणिकता की जांच की जा सके।
पूरी सावधानी बरतने वाले मामले के रूप में भारत सरकार भी इसके प्रभाव की जांच कर रहा है कि उन दस्तावेजों की सूचना आस्ट्रेलियाई सूत्रों के पास उपलब्ध होने का जो दावा किया जा रहा है, उससे कोई खतरा तो नहीं है।
इसका कितना प्रभाव पड़ेगा, रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी जांच कर रही है। भारतीय नौसेना वे सारे उपाय कर रही है, जिससे सुरक्षा के किसी जोखिम को कम किया जा सके।
नौसेना ने अपने बयान में आस्ट्रेलियाई अखबार की वेबसाइट पर डाले गए दस्तावेजों से किसी भी खतरे की आशंका से इनकार किया है।
रक्षामंत्री ने इस रिपोर्ट के लीक होने का कितना नुकसान होगा, इसकी रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह घटना हैकिंग की है।
–आईएएनएस
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