वाइस एडमिरल ए.के. सक्सेना (VAdm AK Saxena) ने राय दी है कि हमें व्यापारिक जहाजों को डिजाइन करने तथा इनका निर्माण करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ये जहाज अंतर्देशीय जलमार्गों, तटीय क्षेत्रों के लिए उपयोगी होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत ने विश्वस्तरीय युद्धपोत और पनडुब्बियों (warships and submarines,) को डिजाइन करने तथा इसका निर्माण करने की क्षमता विकसित की है।
‘प्रौद्योगिकी और स्वदेशी निर्माण की विशेषज्ञता हासिल कर ली गई है, लेकिन क्षेत्र के तेज विकास के लिए अतिरिक्त और नई क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता है।’
वाइस एडमिरल ए.के. सक्सेना, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण (सीडब्ल्यूपी एंड ए) नियंत्रक, 8 जुलाई को फिक्की (FICCI) कांफ्रेंस हॉल, नई दिल्ली में ‘जहाज निर्माण (Shipbuilding) के द्वारा राष्ट्र निर्माण’ विषय पर फिक्की के अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के पूर्वावलोकन कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वैश्विक रुचि को आकर्षित करने के लिए जहाजों का पर्यावरण अनुकूल होना भी जरूरी है।
वाइस एडमिरल ए.के. सक्सेना ने कहा कि जहाज निर्माण (Shipbuilding) के लिए धन की उपलब्धता भी एक समस्या है, क्योंकि निर्माण की अवधि लम्बी होती है।
वाइस एडमिरल ने यह भी कहा कि विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए हमारे जहाज निर्माताओं को दुनिया में अपनाए जाने वाले कर, ब्याज दर, सब्सिडी आदि का भी अध्ययन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि हम जहाज निर्माण (Shipbuilding) में स्वेदशी उद्योग, डिजाइन क्षमता, लागत में कमी, समय पर उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता पर ध्यान देंगे, तो विश्व बाजारों से हम राजस्व आकर्षित करने में सफल होंगे।
वाइस एडमिरल ए.के. सक्सेना ने कहा कि जहाज निर्माण (Shipbuilding) उद्योग राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान देता है और रोजगार के अवसरों का सृजन करता है। इसलिए भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यकम के तहत जहाज निर्माण क्षेत्र को एक रणनीतिक क्षेत्र माना गया है।
सक्सेना ने कहा कि जहाज निर्माण (Shipbuilding) में विकास से स्टील, बिजली और इंजीनियरिंग उपकरण, पोर्ट अवसंरचना, व्यापार और पोत सेवाओं जैसे उद्योगों का भी विकास होता है।
वाइस एडमिरल ने कहा कि श्रम आधारित क्षेत्र होने के कारण जहाज निर्माण (Shipbuilding) में ऑटोमोबिल, ढांचागत संरचना व अन्य उद्योगों की तुलना में रोजगार के अवसरों को सृजित करने की अधिक क्षमता होती है।
वाइस एडमिरल ए.के. सक्सेना ने कहा कि भारतीय नौसेना और तटरक्षक युद्धपोत निर्माण के लिए भारतीय शिपयार्ड को कार्य आदेश देते हैं। लेकिन जहाज के लिए आवश्यक स्वदेशी उपकरणों के निर्माण से हम अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं। यह पूंजी आधारित अवसंरचना उद्योग है।
उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड और उपकरण तथा प्रणाली निर्माण क अन्य कंपनियां तभी अपनी विकास यात्रा जारी रख सकती हैं, जब उनमें विश्व स्तर पर प्रतियोगिता करने की क्षमता हो। इसके लिए जहाज निर्माण के साथ व्यापारिक जहाजों के लिए उपकरण निर्माण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
जहाज निर्माण (Shipbuilding) उद्योग को विकसित करने के लिए भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय के सहयोग से 25-26 जुलाई को फिक्की हाउस, नई दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर रहा है। सेमिनार का विषय है- ‘जहाज निर्माण के द्वारा राष्ट्र निर्माण’ (Nation Building Through Shipbuilding) ।
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