काठमांडू, 15 नवंबर | नेपाल के नए संविधान का विरोध कर रहे जनजातीय और मधेसी दलों के संघीय गठबंधन ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड को अपनी मांगों के अनुरूप संविधान में संशोधन करने का प्रस्ताव दर्ज करने के लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है।
संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने इस मामले में सिंह दरबार में स्थित आवास पर इन दलों के गठबंधन की ओर से प्रचंड को एक ज्ञापन सौंपा है।
सूत्रों ने अनुसार, यादव ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा, “संशोधन प्रस्ताव में जब तक हमारी राय शामिल नहीं कर दी जाती, तब तक उसे दर्ज करने का कोई मतलब नहीं होगा। वह प्रस्ताव हमारे लिए मान्य हो और हमारी मांगें पूरी करने वाला होना चाहिए।”
फाइल फोटो आईएएनएस : इस साल फरवरी में राजनीतिक विचार विमर्श के लिए नेपाल के मधेसी नेता भारत में
हमलोग अतिरिक्त 15 दिनों तक इंतजार करने को तैयार हैं, लेकिन प्रस्ताव हमें मान्य होना चाहिए।
इसके जवाब में प्रचंड ने उन्हें भरोसा दिया है कि एक-दो दिन में संविधान संशोधन दर्ज करने के लिए वह काम कर रहे हैं।
मधेसी दल गठबंधन के जरिए जुड़े हुए हैं और वे अपनी मांगें पूरी करने के लिए एक आंदोलन चला रहे हैं। इनकी मांगों में खासकर प्रांतीय सीमांकन, नागरिकता और आबादी आधारित समानुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग शामिल है।
मधेसी आंदोलन की मुख्य उपलब्धियों में के.पी. ओली के नेतृत्व वाली सरकार का गिरना है। संघीय गठबंधन में शामिल दलों ने नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-युनिटी सेंटर के साथ मौजूदा सरकार के गठन के समय जिस करार पर हस्ताक्षर हुआ है, उसे लागू करने की मांग की है।
–आईएएनएस
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