नई दिल्ली, 10 फरवरी। 52वें नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय शिक्षा तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस वर्ष मेले की थीम ‘बहुभाषी भारत: एक जीवंत परंपरा’ भारत की भाषाई विविधता और वैश्विक साहित्यिक परंपराओं का उत्सव मना रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह मेला साहित्य, विविध संस्कृतियों, कलात्मक अभिव्यक्तियों और ज्ञान का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है।
प्रधान ने कहा कि बहुभाषावाद हमारी विविधता का मूल है और इसलिए, भाषा और किताबें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य, जैसी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने परिकल्पना की है, को साकार करने के लिए संपत्ति हैं।
उन्होंने एक पुस्तक-प्रेमी और पुस्तक-पढ़ने वाले समाज को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जो एक प्रगतिशील सामाजिक व्यवस्था के निर्माण के लिए दूरदर्शी विचारों को बढ़ावा देता है और यह आवश्यक है क्योंकि देश विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए आगे बढ़ रहा है।
उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में श्री सालेह बिन ईद अल-हुसैनी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए पारस्परिक प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने भारत के अमृत काल और सऊदी अरब के 2030 के दृष्टिकोण के बीच समानताएं बताईं, क्योंकि बेहतर भविष्य के लिए हमारे बीच साझा प्रतिबद्धता है।
आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के उद्घाटन कार्यक्रम में भारत में सऊदी अरब के राजदूत, श्री सालेह बिन ईद अल-हुसैनी; शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी; शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री संजय के. मूर्ति; स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार; नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे; नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक श्री युवराज मलिक और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
प्रधान ने बजट 2023-34 में घोषित ‘नेशनल डिजिटल लाइब्रेरीज़ फॉर ऑल’ का ऐप लॉन्च किया। राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण आधारित कथन, “जब नागरिक पढ़ते हैं, तो देश नेतृत्व करता है” के अनुरूप बच्चों और किशोरों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न गैर-शैक्षणिक पुस्तकों तक पहुँचने के लिए अपनी तरह की पहली डिजिटल लाइब्रेरी है।”
राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय बच्चों और किशोरों के बीच उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम से परे विभिन्न पुस्तकों के साथ जुड़कर साक्षरता और भाषा विकास का समर्थन कर सकता है। यह भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं के साहित्य को सामने रखेगा और वसुधैव कुटुंबकम को साकार करने के इरादे से सांस्कृतिक जागरूकता, देशभक्ति और सहानुभूति की भावना पैदा करेगा और इन्हें बढ़ावा देगा।
बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय 4 अलग-अलग आयु समूहों – 3-8 वर्ष, 8-11 वर्ष, 11-14 वर्ष और 14-18 वर्ष के लिए आयु के अनुरूप पठन सामग्री तक एक उपकरण के माध्यम से पहुंच प्रदान करेगा। राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय में किताबें युवा भारतीयों में गर्व की भावना विकसित करने के लिए भारत के इतिहास, संस्कृति, वैज्ञानिक और अन्य उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करेंगी और इसमें अंग्रेजी के अलावा, संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत सभी 23 (तेईस) भाषाओं की किताबें शामिल होंगी। अब तक, 30 से अधिक प्रतिष्ठित प्रकाशकों को शामिल किया जा चुका है और 1000 से अधिक किताबें प्लेटफार्म पर अपलोड की जा चुकी हैं।
प्रधान ने ‘ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म’, ‘ई-जादुई पिटारा’ का भी अनावरण किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है और इसमें पहेलियां और कहानियां शामिल हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके 22 भाषाओं में अनुवादित समावेशी और सूचनात्मक पठन-सामग्री का उद्देश्य प्रारंभिक बचपन की शिक्षा में बदलाव लाना है।
मंत्री ने एनईपी 2020 से जुड़े विशेष मॉड्यूल, शिक्षण-ज्ञान प्राप्ति संसाधन और विषय-विशिष्ट मॉड्यूल भी जारी किए। मंत्री द्वारा जी20 पहल, विकसित भारत और नारी शक्ति वंदन को बढ़ावा देने वाले संसाधन भी जारी किए गए, जो सामाजिक विकास और सशक्तिकरण के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हैं।
प्रधान ने “इग्नाइटिंग कलेक्टिव गुडनेस मन की बात @100” संकलन भी जारी किया, जिसमें रेडियो शो के 100 एपिसोड शामिल हैं और जिसे एनबीटी-इंडिया द्वारा 12 भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने “क्रिएटिंग इंटेलेक्चुअल हेरिटेज” परियोजना के तहत चार नए शीर्षक भी जारी किए, जिन्हें एनबीटी-इंडिया द्वारा प्रकाशित किया गया है।
एनडीडब्ल्यूबीएफ 2024 10-18 फरवरी 2024 तक हॉल 1 से 5, प्रगति मैदान में सुबह 11.00 बजे से शाम 8.00 बजे तक खुला रहेगा। स्कूल यूनिफॉर्म में बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए प्रवेश निःशुल्क है। टिकट आईटीपीओ की वेबसाइट पर ऑनलाइन और चुनिंदा मेट्रो स्टेशनों पर उपलब्ध हैं।
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