नई दिल्ली, 19 जून (जनसमा)। नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश के उच्च अधिकारियों का दल कानपुर चमड़ा उद्योग के कारखानों को स्थानांतरण करने के मुद्दे पर अगले सप्ताह विचार-विमर्श करेंगे।
यह जानकारी केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने ने दी कहा कि उनका मंत्रालय गंगा अधिनियम के प्रारूप पर अंतिम निर्णय लेने से पूर्व सभी पक्षों से चर्चा करेगा। यह प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी हो जाएगी और इससे संबंधित विधेयक को जल्द ही संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
सुश्री भारती ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रालय ने गंगा नदी के ई-प्रवाह की रिपोर्ट प्राप्त कर ली है और इसका अध्ययन किया जा रहा है। देश की सभी नदियों के लिए एक समान ई-प्रवाह स्तर की अनुशंसा की गई है।
पंचेश्वर परियोजना के संबंध में मंत्री ने कहा कि इस परियोजना में पर्यटन की असीमित संभावनाएं है जिसका उपयोग इस परियोजना से निर्वासित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए किया जाएगा। आसाम की माजूली नदी द्वीप परियोजना के संबंध में मंत्री महोदया ने बताया कि इस परियोजना को लोगों की सक्रिय भागीदारी से लागू किया जाएगा।
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा गंगा की गाद-निकासी की मांग का भी उल्लेख किया और इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जल संसाधन मंत्रालय के सचिव ने हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर प्रस्तुति (प्रेजेंटेशन) दी है और आशा है कि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
महानदी मामले पर सुश्री भारती ने कहा, “हमें ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों से ही प्रेम है। हम उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं और उनसे सहयोग की आशा करते हैं।”
सुश्री भारती ने घोषणा करते हुए कहा कि 200 इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को गंगा नदी की जैव प्रौद्योगिकी अध्ययन के लिए नामांकन किया गया है। प्रत्येक समूह में दो विद्यार्थी तथा नेहरू युवा केन्द्र और गंगा विचार मंच के स्वयंसेवक शामिल होंगे । प्रत्येक समूह गंगा की 25 किलोमीटर लंबाई के क्षेत्र का अध्ययन करेगा। इससे संबंधित रिपोर्ट सितम्बर-अक्टूबर 2017 तक आने की आशा है। ये विद्यार्थी स्थानीय लोगों से बातचीत करेंगे ताकि स्थानीय लोगों के जीवन पर गंगा नदी के सामाजिक प्रभाव का अध्ययन किया जा सके।
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