नई दिल्ली, 12 जून। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने शुक्रवार को कहा कि शून्य वस्तु और सेवा कर रिटर्न (GST returns) दाखिल करने वाले पंजीकृत व्यक्तियों या संस्थाओं (entities ) और जिन्होंने जुलाई 2017 और जनवरी 2020 के बीच अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है उन पर कोई विलंब शुल्क (late fees ) नहीं लगाया जाएगा ( levied ) ।
सुश्री सीतारमण ने कहा, छोटे करदाता जिनका कुल कारोबार 5 करोड़ रुपये तक है, उन्हें लेट फीस और ब्याज की छूट प्रदान की जाएगी यदि वे मई, जून और जुलाई 2020 में प्रभावित होने वाली आपूर्ति के लिए सितंबर 2020 तक फॉर्म GSTR-3B फाइल करते हैं ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उत्तरी ब्लॉक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 40 वीं जीएसटी परिषद (GST council) की बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद हैं।
जीएसटी परिषद (GST council) आज देशव्यापी तालाबंदी के बाद पहली बार बैठक की । वित्त मंत्री ने कहा, राज्यों की मुआवजा आवश्यकताओं पर चर्चा के लिए जुलाई में एक विशेष एक-एजेंडा बैठक होगी।
कोरोना (COVID-19) से पहले “जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक की अवधि के लिए बहुत सारी रिटर्न फाइलिंग लंबित है। उन सभी के लिए जिनके पास कोई कर देयताएं नहीं हैं, लेकिन जिन्होंने जुलाई 2017 से जनवरी 2020 के बीच अपना रिटर्न (GST returns) दाखिल नहीं किया है उन पर शून्य विलंब शुल्क (Nil late fees) होगा।
“जिन लोगों की कर देयता है, उनके लिए जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक की अवधि के लिए जीएसटीआर -3 बी (GSTRR-3B) रिटर्न दाखिल न करने की अधिकतम विलंब शुल्क 500 रुपये रखी गई है।
यह 1 जुलाई, 2020 से 30 सितंबर, 2020, के दौरान जमा किए गए सभी रिटर्न (Returns)पर लागू होगा। “सीतारमण ने कहा।
उन्होंने कहा, जीएसटी काउंसिल की अगली नियमित बैठक में पान मसाला पर कर लगाने पर चर्चा की जाएगी।
सुश्री सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद् फुटवियर, फर्टिलाइजर और टेक्सटाइल्स में ड्यूटी में सुधार करने पर ध्यान दे रही है।
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