प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बोडो शांति समझौता समारोह रैली (Bodo Peace Accord celebration rally) में असम (Assam) के लोगों को आश्वासन दिया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के कारण कोई भी बाहरी व्यक्ति इस क्षेत्र में बसने में सक्षम नहीं होगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने असम (Assam) और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों से कहा कि यह अफवाह फैलाई जा रही है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से बाहरी लोगों को इस हिस्से में बसाया जाएगा।
असम (Assam) के कोकराझार (Kokrajhar ) में आज 7 फरवरी, 2020 को बोडो शांति समझौता समारोह रैली (Bodo Peace Accord celebration rally) को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने उन सभी लोगों से अपील की जो अभी भी हिंसा का रास्ता अपना रहे हैं वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट सकते हैं।
मोदी ने कहा “आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास की मुख्यधारा को मजबूत करना है। अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है। अब इस धरती पर किसी भी मां के बेटे का, किसी भी मां के बेटी का, किसी भी बहन के भाई का, किसी भी भाई की बहन का खून नहीं गिरेगा, हिंसा नहीं होगी। ”
असम (Assam) के महान् संत श्रीमंत शंकरदेव (Shamkerdev) का स्मरण करते हुए मोदी ने बोडो शांति समझौता समारोह रैली (Bodo Peace Accord celebration rally) में कहा कि आज जब कोकराझार में इस ऐतिहासिक शांति समझौते को सेलिब्रेट करने के लिए हम जुटे हैं, तब गोलाघाट (Golaghat)में श्रीमंत शंकरदेव संघ का वार्षिक सम्मेलन भी चल रहा है।
मोई मोहापुरुख श्रीमंतो होंकोर देवोलोई गोभीर प्रोनिपात जासिसु।
मोई लोगोत ओधिबेखोन खोनोरु होफोलता कामना कोरिलों !!
(मैं महापुरुष शंकरदेव की जी को नमन करता हूं। मैं अधिवेशन की सफलता की कामना करता हूं।)
भाईयो और बहनों श्रीमंत शंकरदेव जी ने असम की भाषा और साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ पूरे भारत को, पूरे भारत को, पूरे विश्व को आदर्श जीवन जीने का मार्ग दिखाया।
ये शंकरदेव जी ही थे, जिन्होंने असम सहित पूरे विश्व को कहा कि-
सत्य शौच अहिंसा शिखिबे समदम।
सुख दुख शीत उष्ण आत हैब सम ।।
यानि सत्य, शौच, अहिंसा, शम, दम आदि की शिक्षा प्राप्त करो। सुख, दुख, गर्मी, सर्दी को सहने के लिए खुद को तैयार करो। उनके इन विचारों में व्यक्ति के खुद के विकास के साथ ही समाज के विकास का भी संदेश निहित है। आज दशकों बाद इस पूरे क्षेत्र में व्यक्ति के विकास का, समाज के विकास का यही मार्ग सशक्त हुआ है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बोडो शांति समझौता समारोह रैली (Bodo Peace Accord celebration rally) में कहा कि इस आंदोलन से जुड़ी प्रत्येक मांग समाप्त हो गई है। अब उसे पूर्णविराम मिल चुका है। 1993 में जो समझौता हुआ था, 2003 में जो समझौता हुआ था, उसके बाद पूरी तरह शांति स्थापित नहीं हो पाई थी।
उन्होंने कहा “अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्ड पर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली प्राथमिकता है और आखिरी भी वही है।”
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