नई दिल्ली, 23 अप्रैल (जनसमा)। ताजमहल देखने आने वालों की पोशाक अथवा दुपट्टे, गमछे जैसे कपड़ों पर रंग अथवा कुछ धार्मिक नाम-प्रतीक लिखे होने पर उनके प्रवेश पर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है। यह स्पष्टिकरण रविवार को केन्द्र सरकार की एक प्रेस विज्ञप्ति में दिया गया है।
समाचार पत्रों और दृश्य मीडिया के माध्यम से यह समाचार प्रकाशित और प्रसारित हो रहा है कि 19 अप्रैल 2017 को ताज महल देखने आयी महिला पर्यटकों को राम नाम लिखे भगवा दुपट्टे उतरवा कर ही अन्दर जाने दिया गया था। स्थानीय पुलिस को भी इस सम्बन्ध में जांच करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार उपर्युक्त कार्यवाही सी.आई.एस.एफ के किसी सुरक्षा कर्मी अथवा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के किसी कर्मी द्वारा नहीं की गयी है। इस विषय में समाचार में उद्धृत नियमावली में ऐसा करने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही इस आशय का कोई परिपत्र भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा परिचालित किया गया है अथवा लागू है।
कमांडेंट, सी.आई.एस.एफ ने यह भी अवगत कराया है कि सुरक्षा की दृष्टि से सिगरेट, लाइटर, च्युइंगम, चॉकलेट इत्यादि सरकारी लॉकर में जमा कराए गए थे लेकिन स्कार्फ/ दुपट्टा नहीं उतरवाया गया था। इससे सम्बंधित सी.सी. टी. वी. फूटेज उनकी अभिरक्षा में है। सी.सी. टी. वी. फूटेज में यह स्पष्ट है कि रामनाम लिखे भगवा दुपट्टे पहने महिला पर्यटक को ताज महल परिसर में प्रवेश मिला है।
अधीक्षण पुरातत्त्वविद, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, आगरा ने पुष्टि की है कि टी. वी. चैनलों पर दिखाए जा रहे विचाराधीन घटना से सम्बंधित वीडियो में दिख रहे दुपट्टे उतरवाने वाले व्यक्ति ना तो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के कर्मी हैं और ना सी.आई.एस.एफ के। प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि ये व्यक्ति उक्त पर्यटकों के साथ के ही कोई व्यक्ति (गाइड अथवा उनका कोई सहयोगी) हो सकते हैं। इस बारे में अलग से जांच भी की जा रही है। स्थानीय पुलिस को भी इस सम्बन्ध में जांच करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
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