नई दिल्ली, 18 नवंबर । निखिल आडवाणी की फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ में वर्ष 1990 में खाड़ी देश कुवैत पर हुए हमले के दौरान भारतीयों की सुरक्षित वापसी और उनकी मनोस्थिति को दर्शाया गया है। टीवी शो ‘पी.ओ.डब्ल्यू. : बंदी युद्ध के ‘ में भारतीय सैनिकों के संघर्ष को दिखाया जा रहा है। फिल्मकार का कहना है कि देश के युवाओं को ऐसी कहानियां दिखानी चाहिए।
निखिल ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में बताया, “राष्ट्रवाद आजकल ऐसे हो गया है जैसे दो रुपये के सिक्के पर सब टूट पड़ते हैं। लोग इस बात को जाहिर करते हैं कि मैं देशभक्त हूं, मुझे राष्ट्र पर गर्व है, लेकिन कोई नहीं जानता कि देशभक्ति क्या होती है।”
उन्होंने कहा कि क्या देशभक्ति एक सैनिक के बारे में है, जो सीमा पर 12 घंटे बंदूक पकड़े खड़ा रहता है और उसे कोई नहीं देखता। क्या देशभक्ति उन महिलाओं के बारे में है, जो यह आस लगाए रहती हैं कि उनके पति वापस आएंगे और इस आस में अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पातीं।
फिल्मकार के मुताबिक, “एक पीढ़ी के रूप में आज हमें इन कहानियों को जानने की जरूरत है। राजकुमार हिरानी जैसे फिल्मकार जब ‘जब लगे रहो मुन्नाभाई’ फिल्म बनाने जा रहे थे तो उन्होंने मुझे बताया कि फिल्म गांधी के इर्द-गिर्द घूमती है। मैंने उनसे कहा कि कौन देखेगा? उन्होंने कहा, इसीलिए तो मैं यह फिल्म बना रहा हूं। यह एक सफल फिल्म है।”
फिल्मकार ने कहा कि कई लोग यह सोचते हैं कि उनके देश ने उनके लिए क्या किया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर विदेशों में रह रहे भारतीयों की मदद भारत सरकार ही करती है। ‘एयरलिफ्ट’ में यही दिखाया गया है।
‘पी.ओ.डब्ल्यू : बंदी युद्ध के’ इजराइली टीवी शो ‘हातुफिम’ का भारतीय रूपांतर है। इस शो में 17 साल बाद घर लौटे दो सैनिकों और उनके परिवार की कहानी को दिखाया गया है। उन्होंेने कहा कि युद्धबंदी के साथ उससे जुड़े हुए परिवार के लोग भी एक तरह से कैदी बन जाते हैं। उनका भविष्य उनके अतीत की कैद में होता है।
निखिल ने बताया कि सेट पर शूटिंग के दौरान उन्हें यह जुमला पसंद नहीं आता कि टीवी पे ऐसा होता है क्योंकि वह वास्तविक स्थिति को दर्शाने की कोशिश करते हैं।
====राधिका भिरानी
(फाइल फोटो)
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