नई दिल्ली, 19 दिसंबर | नकदी की कमी झेल रहे लोगों की संख्या में सोमवार को भी कोई कमी देखने को नहीं मिली। बैंकों और एटीएम के बाहर पैसे निकालने के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। अब कतार में खड़े लोगों का गुस्सा बढ़ता देखा ता रहा है। कई लोगों के हाथ में अभी तक दिसंबर का वेतन भी पूरा नहीं आ पाया है, वे सोच रहे हैं कि ग्यारह दिन बाद जनवरी का वेतन भी उनके खाते में आ जाएगा, लेकिन वे पैसे कब हाथ में आएंगे, इसका कोई ठिकाना नहीं है।
लोग सोच रहे थे कि जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा था, 50 दिन में ये मुश्किलें खत्म हो जाएंगी। मगर सोमवार को कानपुर की रैली में बात बदलते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि 50 दिन में मुश्किलें कम होने लगेंगी। यानी लोगों को कतार में कब तक लगना होगा, यह अभी कहा नहीं जा सकता।
आईएएनएस के संवाददाता ने शहर के दस बैंकों और एटीएम का दौरा किया और दक्षिण दिल्ली के कालकाजी इलाके में पंजाब नेशनल बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के बाहर करीब 150 लोगों को कतार में खड़े देखा।
इसी तरह के दृश्य पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार इलाके में इंडियन ओवरसीज बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक के बाहर भी थे।
एक लॉ कंपनी में काम करने वाले कालकाजी एक्सटेंशन निवासी, एक सुरक्षा गार्ड जसवंत शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “जिस दिन से मुझको तनख्वाह मिली है, तब से मैं कुछ नकदी निकालने के लिए एटीएम की खोज कर रहा हूं। मेरे तीन प्रयास विफल हो गए हैं, क्योंकि मेरी बारी आने से पहले एटीएम में नकदी खत्म हो जाती है।”
जब 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य किए जाने को उनके समर्थन के बारे में पूछा गया तो शर्मा ने कहा, “मुझको सरकारी निर्णय से कुछ लेना-देना नहीं है। मैं तो सिर्फ कुछ नकदी निकालना चाहता हूं, ताकि घर चला सकूं। मेरी जेब में सिर्फ दस रुपये बच गए हैं।”
कालकाजी इलाके में दिन में 12.30 बजे के आसपास एचडीएफसी और येस बैंक के एटीएम के बाहर करीब 300 लोग कतारों में खड़े थे, कई ने कहा कि वे सुबह छह बजे ही कतार में लग गए, फिर भी नोट मिलेंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
दक्षिणी दिल्ली स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर खड़े साउथ एक्सटेंशन पार्ट-2 के निवासी बलविंदर सिंह ने आईएएनएस से कहा, “बहुत बदइंतजामी है। घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी पैसे मिलेंगे या नहीं, कहा नहीं जा सकता।”
उन्होंने कहा, “सरकार ने मध्यम और कामकाजी वर्ग के लोगों को परेशान कर दिया है। नोटबंदी के बाद से आज मैं तीसरी बार अपने दफ्तर नहीं गया, क्योंकि घर में पैसे नहीं हैं। क्या दफ्तर से मेरी गैरहाजिरी के बदले जो वेतन कटेगा, उसका भुगतान सरकार करेगी?”
इसी तरह की बातें नोएडा में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ काम करने वाली आईटी पेशेवर नेहा शर्मा ने कहा, “हम पैसे निकालने का बहाना बनाकर हर समय दफ्तर नहीं छोड़ सकते न! पता नहीं, कब तक ऐसा रहेगा।”
उन्होंने क्रोधित होकर कहा, “सरकार ने एक सप्ताह में 24000 रुपये निकालने की सीमा तय की है, लेकिन बैंक अधिकारी सिर्फ 4000 रुपये देते हैं। चार हजार रुपये में पूरे महीने का खर्च तो नहीं चल सकता, बार-बार कतार में लगते रहो.. बहुत मुश्किल है अब झेलना।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को कालाधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की बात कहकर बड़े नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था, तब से पूरे देश में लोगों का ज्यादातर समय भूखे-प्यासे बैंकों या एटीएम के बाहर कतार में खड़े बीत रहा है। –आईएएनएस
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