भोपाल 10 दिसम्बर (जस)। नये साल से भोपाल के लोगों द्वारा ऑनलाइन आर्डर करने पर घर बैठे ताजी मछली मिलने लगेगी मत्स्य महासंघ इसके लिये सोलर पैनल से संचालित फ्रिज युक्त वेन चलाने के साथ ही निजी क्षेत्र की सप्लाई एजेंसी से भी टाई-अप पर विचार कर रहा है। सफल होने पर योजना का विस्तार प्रदेश के दूसरे शहरों में भी किया जायेगा। यह जानकारी मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री अंतर सिंह आर्य की अध्यक्षता में शुक्रवार हुई मत्स्य महासंघ की काम-काज समिति की बैठक में दी गयी।
बैठक में प्रदेश में मत्स्य-बीज की संख्या बढ़ाते हुए दोगुना मछली उत्पादन करने, सभी शासकीय तालाबों में मछली-पालन करने, नीलक्रान्ति योजना में केज कल्चर विकसित करने, मत्स्य-बीज प्रक्षेत्र में पदस्थ कर्मचारियों के लिये आवास बनाने, खाली पदों को भरने आदि अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। प्रमुख सचिव अश्विनी कुमार राय, मत्स्य महासंघ के प्रबंध संचालक सतीश चन्द्र सिलावट और संचालक ओ.पी. सक्सेना मौजूद थे।
आर्य ने कहा कि प्रदेश में खेती लाभ का धंधा बनी है। बढ़ते मछली-पालन ने किसानों की अतिरिक्त आय में इजाफा किया है। आर्य ने विभाग को किसानों के पास उपलब्ध बंजर जमीन पर तालाब बनाकर मत्स्य-पालन में सहायता करने के निर्देश दिये। प्रदेश के तालाबों में इस वर्ष दोगुना मत्स्य-बीज डाला जायेगा, जिससे उत्पादन भी दोगुना से अधिक होने की संभावना है। वर्तमान के 10 हजार प्रति टन उत्पादन को बढ़ाकर 20 हजार टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आर्य ने हर जिले के 10-10 लोगों को मछली-पालन से जोड़ने को कहा।
प्रमुख सचिव अश्विनी कुमार राय ने बताया कि प्रदेश में सरकारी योजनाओं में बने सभी तालाबों में मछली-पालन के लिये सभी कलेक्टर को आदेश जारी किये गये हैं। मत्स्य-पालन को रोजगार बनाने या पालन में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को ये तालाब पट्टे पर दिये जा सकेंगे। केन्द्रीय नील-क्रांति योजना में प्रदेश के जलाशयों में केज कल्चर स्थापना के लिये टेण्डर के आधार पर कार्य आवंटित होगा। प्रदेश में 210 केज की स्थापना 6 करोड़ 30 लाख की राशि से होगी, जिसमें केन्द्र और राज्य शासन का 50-50 प्रतिशत अंशदान होगा। केज में पंगेशियस मछली पलेंगी, जिनकी बाजार में कीमत 80 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम है।
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