नई दिल्ली,28 जुलाई (जनसमा)। ‘जल से संबंधित मुद्दों की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष से अधिक विपक्ष पर है। हमने तय किया है कि आने वाले दिनों में हम जब भी राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे तो साथ में उस राज्य के विपक्षी नेताओं से भी चर्चा करेंगे।’
यह बात कही केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने वे शुक्रवार को जल मंथन – 4 राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कर रही थी।
उन्होंने कहा कि जल के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने राज्यों से आह्वान किया कि जल प्रबंधन एवं जल बटवारों के मुद्दों पर वे राज्य हित के साथ राष्ट्र हित को भी प्राथमिकता दें।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य जल बटवारे के मुद्दों पर राष्ट्रीय हित का अनदेखा करते है। केंद्रीय मंत्री ने सम्मेलन में मौजूद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इससे जुड़े लंबित मुद्दों का यथाशीघ्र समाधान करे ताकि केंद्र सरकार इस परियोजना के प्रथम चरण पर कार्य जल्द से जल्द शुरू कर सके।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात पार-तापी और दमन गंगा- पिंजाल नदी जोड़ो परियोजनाओं पर केंद्र का पूरे मनोयोग से सहयोग कर रहे हैं और इन दोनों परियोजनाओं पर काम तेजी से चल रहा है।
सुश्री भारती ने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी में होने वाले विचार मंथन से जल संरक्षण प्रबंधन की नीति बनाने में सहायता मिलेगी और वर्तमान नीतियों में सुधार करने के रास्ते भी प्रशस्त होंगे।
इससे पहले नवंबर 2014, फरवरी 2016 और जनवरी 2017 में आयोजित किए गए तीन जल मंथन कार्यक्रम बेहद सफल रहे।
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