नई दिल्ली, 28 अप्रैल (जनसमा)। भारत सरकार के राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (एसएलएनपी) के अंतर्गत देशभर में 21 लाख से अधिक पारंपरिक स्ट्रीट लाइट के स्थान पर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं। नई लाइट से सड़कों पर अधिक रोशनी हुई है और निवासियों और वाहन चालकों के बीच सुरक्षा की भावना बढ़ी है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक ऊर्जा सेवा कंपनी, एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेस लिमिटेड (ईईएसएल) एसएलएनपी की कार्यान्वयन एजेंसी है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर ऊर्जा दक्ष एलईडी लाइट लगाने के लिए इस राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरूआत की थी। सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (एसएलएनपी) के अंतर्गत 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर ऊर्जा दक्ष एलईडी लाइट लगाना है।
एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने से सालाना 295 मिलियन इकाई किलोवॉट-ऑवर (केडब्ल्यूएच) बिजली की बचत हुई है और 2.3 लाख टन कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ है। यह परियोजना 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित की जा रही है। इसके बाद से सड़कों पर रोशनी का स्तर काफी बढ़ा है।
ईईएसएल विशेष विरासत लाइटिंग परियोजना भी कार्यान्वित कर रही है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के काशी क्षेत्र में 1000 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाई गई है और इनके अलावा 4000 अतिरिक्त लाइटें लगाई जा रही हैं।
भारी मात्रा में लाइट की खरीदी के कारण एलईडी स्ट्रीट लाइट का खरीद मूल्य 135 रुपये प्रतिवॉट से घटकर 80 रुपये प्रति वॉट हो गया है। स्ट्रीट लाइट लगाने का पूरा पूंजी निवेश ईईएसएल करती है इसलिए नगरपालिकाओं से अतिरिक्त बजट आवंटन की आवश्यकता नहीं है। नगरपालिकाएं सात वर्ष की अवधि में बिजली और प्रबंधन की लागत में बचत से जमा की गई राशि से ईईएसएल को भुगतान करती है जिसके कारण एलईडी लाइटें सस्ती और सुलभ हुई है। ईईएलसी परियोजना के संपन्न होने पर सभी राज्यों में सामाजिक लेखा परीक्षा (ऑडिट) भी करती है।
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