देश में पिछले सात साल से रेल पटरियों पर मालगाडियां ओवरलोडिग दौड रही हैं। यहां प्रस्तुत है अनिल दुबे के लेख “रेल परिवहन में क्रांति लाएगा स्वर्णिम चतुर्भुज” के कुछ अंश जो इस सच्चाई को बयान करते हैं कि लाभ के लोभ में रेलवे किस तरह यात्रियों के जीवन से खिलवाड करता रहा। — संपादक
देश के सर्वाधिक व्यस्त रेल मार्गों दिल्ली-मुंबई और दिल्ली कोलकाता के बीच बन रहा स्वर्णिम चतुर्भुज समर्पित रेल गलियारा तेजी से तैयार हो रहा है, जिस पर सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियां चलेंगी। वहीं मौजूदा रेल लाइनों पर सिर्फ यात्री ट्रेनें चलेंगी।
परियोजना के पूरा होने पर प्रत्यक्ष तौर पर यात्रियों के लिए टिकटों की प्रतीक्षा सूची बीते दिनों की बात हो जाएगी। साथ ही रेल पटरियों के जल्दी जल्दी खराब होने और उनके रखरखाव का भी समय न मिलने के कारण हो रही दुर्घटनाएं भी नहीं के बराबर होंगी।
रेलवे अभी 9 से 10 हजार से अधिक यात्री ट्रेनें चला रहा है, जिससे सवा 2 करोड़ दैनिक व लंबी दूरी की यात्रा लोग कर रहे हैं। इसी रेल रूट पर अभी लगभग 8 से 9 हजार मालगाड़ियां चलती हैं, जो धीरे-धीरे करके वर्ष 2021 तक स्वर्णिम चतुर्भुज कारीडोर पर चली जाएंगी। इसका परिणाम यह होगा कि रेल यात्रियों के लिए जहां जरूरत के मुताबिक नई यात्री ट्रेनें चलाई जा सकेंगी, वहीं ट्रेनों की रफ्तार में अच्छा खासा इजाफा भी होगा। ट्रेनों की बढ़ी रफ्तार के साथ यात्रियों को कन्फर्म टिकट उनकी मांग के अनुरूप मिलने लगेगा।
मौजूदा स्थिति में दिन रात दौड़ रही यात्री ट्रेनों व मालगाड़ियों के कारण रेल पटरियां जर्जर हो गई हैं। यही कारण है की प्रतिवर्ष देशभर में लगभग पांच से छह हजार मामले पटरियों में दरार आने व नट-बोल्ट ढ़ीले होने के होते हैं, इसमें से कुछ दर्जन घटनाएं गंभीर हादसे में तब्दील हो जाती हैं। मुंबई-दिल्ली-हावड़ा और देश के अन्य व्यस्ततम रेल रूट पर ट्रेनों का भारी ट्रैफिक है, तो मालगाड़ियों पर निर्धारित क्षमता से लगभग दो सौ प्रतिशत अधिक वजन की ढ़ुलाई हो रही है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कार्यभार संभालते ही लगातार हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल पटरियों की मरम्मत करने व उन्हें बदलने का निर्देश दिया है, लेकिन यह काम भी आनन फानन में पूरा नहीं हो सकता, क्योंकि विशालकाय 1 लाख 35 हजार किलोमीटर रेल नेटवर्क को दुरूस्त करने के लिए काफी समय लगना है।
रेल पटरियों की जर्जर हालत पर बीते एक दशक में संसद की रेल संबंधी समितियों और कैग ने भी 2010 की अपनी रिपोर्ट में चिंता जताई थी। रेलवे का मुनाफा बढ़ाने के लिए मालगाड़ियों का एक्सेल लोड एक दशक पूर्व क्षमता से अधिक बढ़ा दिया गया था। रेल मैनुअल के अनुसार 4800 से 5000 टन से अधिक वजन नहीं होना चाहिये, लेकिन सभी मालगाड़ियों में 5500 टन की ओवरलोडिंग की जाती रही है। यही नहीं, कई बार तो दो मालगाड़ियों को एक साथ जोड़ दिया जाता है।
दुनिया के तमाम देशों में इस समय अल्ट्रासोनिक ट्रैक डिटेक्शन मशीन और हाई स्पीड रेल चेक मशीन से पटरी की सतह, दरार, रनिंग खराबी व गिट्टी की पूरी जांच होती है। इस तरह की मशीनें देश में खरीदे जाने की जरूरत है। इन सब चुनौतियों को देखते हुए ही डीएफसी का काम बीते एक साल में ही 5 गुना तेजी से बढ़ा है। अत्याधुनिक एनटीसी मशीनों द्वारा मैकेनाइज्ड ट्रैक लाइन तेजी से बिछाई जा रही है। काम में तेजी लाने के लिए डीएफसी ने और मशीनों को विदेशों से मंगाया है ताकि दिसंबर 2019 तक काम पूरा किया जा सके।
(भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय द्वारा जारी लेख “रेल परिवहन में क्रांति लाएगा स्वर्णिम चतुर्भुज” से)
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