नई दिल्ली, 22 फरवरी| तेजी से बदल रही दुनिया में रोजगार के नए विकल्प और अवसर काफी तेजी से उभर रहे हैं। ऐसा इससे पहले कभी नहीं देखा गया। यह आकर्षक क्षेत्र सिर्फ रोमांचक ही नहीं है, बल्कि एक बेहतरीन भावी विकास परिदिश्य का भी वादा करते हैं। पैकेजिंग एक ऐसा ही क्षेत्र है, जो अवश्यसंभावी सफलता के रास्ते खोलता है और मोटी सैलरी की गारंटी भी देता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग एक अग्रणी सरकारी संस्थान है, जिसके द्वारा युवा प्रतिभाओं के लिए पैकेजिंग उद्योग में कॅरियर विकल्प उपलब्ध कराए जाते हैं। यह संस्थान अपने यहां से पैकेजिंग तकनीक में दो वर्षीय पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों के लिए 100 प्रतिशत नौकरी की गारंटी देता है।
आईआईटी के विद्यार्थी दुनियाभर में प्रमुख कंपनियों में काम कर रहे हैं, जैसे कि हिन्दुस्तान यूनीलिवर, लोरियल, कोका-कोला, लार्सेन एंड टुब्रो, क्राफ्ट्स फूड व अन्य। इन कंपनियों में इन्हें प्रतिवर्ष 4 लाख से 12 लाख रुपये तक का शुरुआती वेतन प्राप्त होता है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग के संयुक्त निदेशक डॉ. तनवीर आलम ने कहा, “दुनियाभर में यह उद्योग 7.71 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 2.46 करोड़ अमेरिकी डॉलर है। भारतीय पैकेजिंग उद्योग काफी तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय पैकेजिंग उद्योग की वार्षिक विकास दर लगभग 15 प्रतिशत है, जो वैश्विक स्तर पर 5-6 प्रतिशत से काफी अधिक है।
प्रत्येक उद्योग, चाहे वह फूड मैन्यूफैक्च रिंग से जुड़ा हो या फिर उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण से, को अपने उत्पादों की पैकेजिंग कराने की जरूरत होती है। आईआईपी एक ऐसा अनूठा संस्थान है, जो इस उद्योग के लिए प्रशिक्षित श्रमबल तैयार करता है।”
हम सभी जानते हैं कि पैकेजिंग उत्पादों को बोतलों, प्लास्टिक की थैलियों, रैपर्स, ल्युब्स, पेपर कार्टन और बॉक्सेस इत्यादि में भरने या आकार देने की प्रक्रिया है। वर्तमान में हर चीज के लिए पैकेजिंग की जरूरत होती है। छोटी सी पिन से लेकर बड़े उत्पादों तक सभी अच्छी तरह से पैक करना जरूरी है। उपयुक्त और अच्छी तरह से की गई पैकेजिंग ग्राहकों को आकर्षित भी करती है और बाजार की अर्थव्यवस्था को बढ़ाती है।
पैकेजिंग में प्रशिक्षित पेशेवरों की काफी मांग है, क्योंकि पैकेजिंग सिर्फ उत्पाद को सुरक्षित रखने के एकमात्र उद्देश्य को ही पूरा नहीं करती, बल्कि एक ‘साइलेंट सेल्समैन’ का काम भी करती है।
डॉ. आलम ने आगे कहा, “विगत कई वर्षों में पैकेजिंग उद्योग में हुए तेज विकास ने भी भारतीय पैकेजिंग उद्योग द्वारा पैकेजिंग पेशेवरों के लिए मांग बढ़ा दी है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर पैकेजिंग के समग्र मानकों को अपग्रेड करने के लिए हमारे देश में पैकेजिंग प्रशिक्षण और शिक्षा समय की जरूरत बन गई है।”
दुनिया के पहले पैकेजिंग संस्थान की पेशकश अमेरिका में 1952 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन द्वारा की गई थी। उसके बाद भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश बना, जिसने 1952 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग की स्थापना की।
इस संस्थान द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है, ताकि विद्यार्थियों को चतुराई से और उपयुक्त तरीके से पाठ्यक्रमों का चुनाव करने में मदद मिल सके। विद्यार्थियों को उद्योग दिग्गजों द्वारा विभिन्न पैकेजिंग प्रक्रियाओं और तकनीकों का ज्ञान उपलब्ध कराया जाता है।
इसमें प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दिया जाता है। परीक्षा का संचालन सभी मेट्रो शहरों में हर साल जून के बाद किया जाता है। नामांकन पत्र मई माह से उपलब्ध होते हैं और आवेदन की आखिरी तारीख 10 जून, 2017 है। आईआईपी द्वारा पैकेजिंग में दो-वर्षीय पीजी डिप्लोमा भी कराया जाता है, जो अगस्त में शुरू होगा। –आईएएनएस
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