लकड़ी के उत्कृष्ट शिल्प कौशल से निर्मित पद्मनाभपुरम् पैलेस तमिलनाडु में कन्याकुमारी जिले के थुकाले (Thuckalay) टाउन में है।
पद्मनाभपुरम् पैलेस परिसर केरल की प्राचीन लकड़ी की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है । यह पैलेस या महल तमिलनाडु में है किन्तु यह संपत्ति केरल सरकार की है और इसका प्रशासन केरल सरकार ही चलाती है।
लकड़ी के इस पैलेस या महल में सैलानियों के देखने योग्य है लकड़ी कला की शानदार नक्काशी, शाही परिवार का शस्त्रागार तथा पुराने चित्र और प्राचीन वस्तुएं।
पद्मनाभपुरम् पैलेस का निर्माण 1601 ईस्वी में राजा ईरावी वर्मा कुलशेखरा पेरुमल द्वारा कराया गया था जिन्होंने 1592 से 1609 के बीच इस क्षेत्र में शासन किया था।
महल का कुल परिसर क्षेत्र 75 हेक्टेयर में फैला हुआ है, किन्तु महल का मुख्य क्षेत्र 2 हेक्टेयर ही है।
इस महल की एक विशेषता यह भी है कि यहां एक ऐसा विशाल भोजन कक्ष बनाया गया है जहां एक साथ बैठकर दो हजार लोग भोजन कर सकते हैं।
इस भोजन कक्ष का नाम ओट्टुपुरा है और यह बीच में लकड़ी के सपोर्ट से दो मंजिला बनाया गया है।
सबसे खास बात यह है कि यहां के महाराजा प्रतिदिन दो हजार लोगों को मुफ्त भोजन कराते थे और वह भी ओट्टुपुरा में ही।
मंदिर की बाहरी दीवार पर लगभग दो मंजिल की ऊंचाई पर एक विशाल घड़ी है जो 300 सौ साल पुरानी है लेकिन अभी भी सही समय दिखाती है। इस स्थान को क्लाॅक टाॅवर कहते हैं।
महल का प्रवेश द्वार त्रिभुजाकार और कोणीय है और दो मंजिला है।
इस महल में एक मंदिर भी है और उसकी प्रस्तर मूर्तियां, शानदार पुष्प नक्काशी और काले ग्रेनाइट फर्श लोगों को आश्चर्यचकित करती रहती है। पैलेस में कई अन्य शानदार जगहें हैं। चमकदार काले पत्थरों से बना दरबार हॉल का फर्श वास्तुकला की विशेषता है। महल में एक किलोमीटर लंबा गुप्त भूमिगत मार्ग भी हैं।
दूसरी मंजिल पर जाने के लिए प्रवेश द्वार के आहते से लकड़ी की सीढ़ियां बनी हुई है। दूसरी मंजिल महाराजा और मंत्रियों का मंत्रणा कक्ष है । मुख्य महल के प्रवेश द्वार के ठीक
ऊपरवाले कक्ष में राज सिंहासन है जहां बैठकर राजा महत्वपूर्ण लोगों से मिलते थे।
पद्मनाभपुरम् पैलेस नागरकोइल से 20 किमी और केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 64 किमी दूर है ।
पैलेस सैलानियों के लिए सोमवार को छोड़कर प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
Follow @JansamacharNews