मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने 18 नवम्बर को सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पद्मावती फिल्म तब तक रिलीज न हो, जब तक इसमें आवश्यक बदलाव नहीं किए जाएं ताकि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
उन्होंने पत्र में कहा है कि इस संबंध में सेंसर बोर्ड को भी फिल्म प्रमाणित करने से पहले इसके सभी संभावित नतीजों पर विचार करना चाहिए।
प्रसिद्ध इतिहासकारों, फिल्मी हस्तियों और पीड़ित समुदाय के सदस्यों की एक समिति गठित की जाए जो इस फिल्म तथा इसकी कथानक पर विस्तार से विचार-विमर्श करे। उसके बाद ऎसे आवश्यक परिवर्तन किए जाए जिससे किसी भी समाज की भावनाओं को आघात न लगे।
श्रीमती राजे ने कहा कि फिल्म निर्माताओं को अपनी समझ के अनुसार फिल्म बनाने का अधिकार है लेकिन कानून व्यवस्था, नैतिकता और नागरिकों की भावनाओं को ठेस पहुंचने की स्थिति में मौलिक अधिकारों पर भी तर्क के आधार पर नियंत्रण रखने का प्रावधान भारत के संविधान में है। इसलिए पद्मावती फिल्म की रिलीज पर पुनर्विचार किया जाए।
केन्द्रीय मंत्री को पत्र लिखने के लिए मेवाड़ के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर श्रीमती राजे से मुलाकात कर उनका आभार जताया।
प्रतिनिधिमंडल में यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी, चित्तौड़गढ़ विधायक चन्द्रभान आक्या, मेवाड क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष बालू सिंह कानावत, मेवाड क्षत्रिय महासभा के संरक्षक मनोहर सिंह कृष्णावत एवं तेज सिंह बांसी, जोहर स्मृति संस्थान, चित्तौड़गढ़ के महामंत्री भंवर सिंह खरड़ी, कोषाध्यक्ष नरपत सिंह भाटी, चित्तौड़ क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह खोर शामिल थे। इसके अलावा गजसिंह अलसीसर ने भी मुख्यमंत्री का आभार जताया।
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