नई दिल्ली, 23 नवंबर | पाकिस्तान का इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों पर लगाए गए जासूसी के आरोप भारत की छवि पर दाग लगाने का भद्दा प्रयास है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा को यह बात कही। सुषमा ने एक लिखित जवाब में यह भी कहा कि मीडिया में अधिकारियों का नाम देना विएना संधि का उल्लंघन है।
पाकिस्तान ने नवंबर की शुरुआत में इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के आठ अधिकारियों का नाम लिया था और आरोप लगाया था कि वे भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) या भारतीय खुफिया ब्यूरो के लिए काम करते हैं।
पाकिस्तान ने यह कदम नई दिल्ली स्थित एक पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अधिकारी के कथित रूप से भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता में पकड़े जाने के बाद उठाया।
सुषमा ने लिखित जवाब में कहा, “भारतीय अधिकारियों के खिलाफ आरोप पाकिस्तान सरकार की ओर से बाद में विचार करके तय किया गया और भारत की छवि पर दाग लगाने का भद्दा प्रयास किया गया।”
जिस तरह से पाकिस्तानी मीडिया में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की बगैर किसी पुष्टि के आधारहीन आरोपों सहित प्रमुखता के साथ उनके नाम और फोटो प्रकाशित किए गए, वह विएना करार के खिलाफ है और शिष्टता और कूटनीतिक प्रचलन के स्थापित मानदंडों का उल्लंघन भी करता है।
मंत्री ने कहा कि अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों को तीन जत्थों में 8,10 और 12 नवंबर को भारत लाया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने भारत-पाकिस्तान के रिश्ते को सामान्य करने के लिए बहुत सारे पहल किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय तरीके से आतंकवाद और हिंसा से मुक्त एक माहौल के लिए सरकार ने पहल किए हैं।
स्वराज ने यह भी कहा कि इसके साथ ही सरकार अपने देश और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अक्टूबर में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी महमूद अख्तर को भारतीय अधिकारियों ने भारत विरोधी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के आरोप में पकड़ा था। उसे 28 अक्टूबर को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया था।
भारत सरकार ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को उसी दिन तलब किया था और अख्तर की गतिविधियों को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। 29 अक्टूबर को अख्तर ने परिवार सहित भारत छोड़ दिया था।
28 अक्टूबर को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में सहायक जन कल्याण अधिकारी सुरजीत सिंह को बगैर कोई उचित प्रमाण दिए अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया। उन पर सिर्फ यही आधारहीन आरोप लगाया गया था कि उनकी गतिविधियां राजनयिक के मानदंड के अनुकूल नहीं हैं। वह 29 को भारत लौट आए थे।
दो नवंबर को पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तानी उच्चायोग के छह लोगों को वापस बुला लिया। अख्तर से पूछताछ के दौरान उनका नाम मीडिया में आया था।
वे सभी परिवार के 25 सदस्यों के साथ पाकिस्तान वापस लौट गए।
16 नवंबर को पाकिस्तान ने दो और अधिकारियों को वापस बुला लिया।
दो नवंबर को पाकिस्तानी मीडिया ने प्रमुखता के साथ इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के आठ लोगों के नाम फोटो सहित प्रकाशित किए। इनमें सलाहकार आर. के. अग्निहोत्री, प्रथम सचिव बलबीर सिंह, प्रथम सचिव व्यापार अनुराग सिंह, अटैची अमनदीप सिंह भट्टी, एपीडब्ल्यूओ जे. सेंथिल और तीन सहायकों डी. सोढी, वी.के. वर्मा और एम. नंदकुमार शामिल हैं।
आरोप यह लगाया गया कि ये अधिकारी पाकिस्तान में ध्वंसकारी एवं आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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