हांगकांग, 29 अगस्त (जनसमा)| एशियन लीगल रिसोर्स सेंटर ने सोमवार को जारी एक प्रेस रिलीज में कहा है कि मौत की सजा देने में तीसरे नम्बर पर है पाकिस्तान । दुनिया में सबसे अधिक मौत की सजा सउदी अरब में दी जाती है और उसके बाद चीन का नम्बर आता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि अगर पाक में मौत की सजा प्राप्त सभी कैदियों को एक साल के दरम्यान फांसी पर लटकाना हो तो सरकार को रोज़ाना 667 लोगों को फांसी देने की व्यवस्था करनी होगी।
एम्नेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, पाकिस्तान की जेलों में 8,500 मौत की सजा पाये कैदी फांसी पर लटकाये जाने का इंतजार कर रहे हैं। उपलब्ध आंकडों के अनुसार पाक के गृह राज्य मंत्री ने 2015 में जानकारी दी थी कि देश में 6,016 मौतों की सजा प्राप्त कैदी हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह संख्या केवल उन कैदियों की है जिन्होंने मौत की सजा माफ करने की अपील की है या इन सभी को फांसी पर लटकने का इंतजार है।
एशियन लीगल रिसोर्स सेंटर (एएलआरसी) ने कहा है कि पाकिस्तान में मौत की सजा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का ध्यान आकर्षित करना चाहती है। जीवन का अधिकार हर इंसान के अतुलनीय अधिकार है। पाकिस्तान का संविधान, अंतर्राष्ट्रीय मानदंड और सम्मेलनों का कहना है कि कोई भी जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं होगा। पाकिस्तान में यह अधिकार केवल कुछ चुनिंदा लोगों के लिए उपलब्ध है।
बताया जाता है कि पाकिस्तान में आपराधिक न्याय प्रणाली औपनिवेशिक युग प्रणाली के एक पुरातन अवशेष में से एक है, जहां मौत की सज़ा सर्वव्यापी थी। 1947 में पाकिस्तान की स्वतंत्रता के समय, केवल दो अपराध, हत्या और राजद्रोह में ही मौत की सजा का प्रावधान था किन्तु आज पाकिस्तानी कानून में आतंकवादी अपराधियों के अलावा 27 अपराधों में मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है।
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