दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों को यह समझाना चाहिए कि यह कोरोनावायरस (COVID-19) संक्रामक है और सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
अभिभावकों को अपने बच्चों को यह भी बताना होगा कि कोरोनावायरस (COVID-19) सबसे पहले किसी इंसान में तब प्रवेश करता है, जब कोई संक्रमित व्यक्ति आप के आस पास खड़ा होकर खांसता या छींकता है।
दूसरा रास्ता, जिससे कि यह कोरोनावायरस (COVID-19) आप तक पहुंच सकता है, वह यह है कि यदि खांसते या छींकते समय किसी व्यक्ति ने अपनी नाक या मुंह पर हाथ रखा और वह हाथ फिर किसी सतह के संपर्क में आ गया और आपने उस सतह को छुआ तो भी आप वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों को कोरोनावायरस (COVID-19) के विषय में समझाना होगा और यह भी समझाना होगा कि यह वायरस कितना खतरनाक है।
भीड़ वाली जगहों पर बड़ी आसानी से हो सकता है, तो इस तरीके से बच्चे को बाहर जाने से रोकने के लिए अभिभावक उन्हें समझा सकते हैं।
दूसरी विशेष और महत्वपूर्ण चीज सामाजिक दूरी है। जिसे अभिभावकों को अपने बच्चों को इस तरह से समझाना होगा कि जब कोई खांसता या छींकता है, तो उससे दूरी बनाई जाए।
बच्चों के लिए यह समझना जरूरी है, क्योंकि संक्रामक रोग है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाना बेहद जरूरी है। इस संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए ही संक्रमित व्यक्ति को लोगों से दूर रहकर क्वारेंटाइन किया जाता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को बच्चों और अभिभावकों के बीच कोरोनावायरस (COVID-19) को लेकर सार्थक चर्चा के उद्देश्य से ‘पैरेंटिंग इन द टाइम ऑफ करोना’ नाम से लाइव कार्यक्रम किया।
इस सेशन में दिल्ली शिक्षा विभाग के निदेशक विनय भूषण और मेराकी फाउंडेशन के सीईओ श्रीमंत धड़वाल ने उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ अभिभावकों द्वारा उनके बच्चों की तरफ से पूछे गए सवालों के जवाब दिए।
इस सेशन में कोरोनावायरस की गंभीरता, उससे संबंधित सकारात्मक सोच, पारिवारिक सदस्यों को चिंतामुक्त करना, लॉक डाउन और अन्य संबंधित विषयों पर चर्चा की गई।
सत्र की शुरुआत उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने की।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों, नगर निगम के स्कूलों, प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं एवं अन्य स्कूलों में पढ़ने वाले कुल 44 लाख से अधिक बच्चे हैं। जो कि इस समय कोरोनावायरस (COVID-19) के कारण लॉकडाउन (Lockdown) से अपने घर पर हैं ।
यह एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है कि इस कठिन समय में कैसे इस परिस्थिति से निपटा जाए? इस सत्र का उद्देश्य खाली समय में बच्चों के प्रति अभिभावकों के दायित्व का निर्वाह करते हुए समय को अधिक उपयोगी बनाना है।
सिसोदिया ने आगे कहा कि हमारे साथ शिक्षा विशेषज्ञ सीमंत धड़वाल मौजूद हैं, जो 10 वर्षों से अधिक समय तक दुनिया के अलग-अलग कोने में जाकर पैरेंटिग से संबंधित समस्याओं पर विश्लेषण करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में लॉक डाउन की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश में लॉक डाउन की घोषणा कर दी थी। पैरेंटिंग इन द टाइम ऑफ कोरोना के विषय पर चर्चा की घोषणा के बाद हमें अभिभावकों से बहुत सारे सवाल मिले हैं।
कोरोनावायरस (COVID-19) पर पूछे गए प्रश्न के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बच्ची के अभिभावक ने सवाल किया है कि उनकी 5 साल की बच्ची कहती है कि क्या हम सब मर जाएंगे?
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे बेहद मासूम और भोले होते हैं, उनके द्वारा इस तरह के सवाल पूछा जाना लाजमी है। जहां तक संभव है, अभिभावक इस तरह के सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश करते हैं।
हमारा उद्देश्य है कि इस कठिन समय को एक अवसर के रूप में बदला जाए। सामान्य तौर पर हर व्यक्ति अपने जीवन में इतना व्यस्त रहता है कि अपने बच्चों के साथ बातचीत करने का अवसर नहीं मिलता है। यहां तक कि गर्मी की छुट्टियों में भी हम बच्चों से बात नहीं कर पाते हैं, क्योंकि ज्यादातर अभिभावक काम पर होते हैं, इसलिए यह ऐसा समय है, जबकि परिवार में बच्चे और पैरेंट्स दोनों ही घर पर हैं और अपना शानदार समय एक दूसरे के साथ बिता रहे हैं।
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक विनय भूषण ने कहा कि बच्चे लॉक डाउन के कारण सवाल पूछ रहे हैं कि वे बाहर क्यों नहीं जा सकते? वह अपने दोस्तों से क्यों नहीं मिल सकते? और ऐसी परिस्थिति में अभिभावक इन सवालों का जवाब देने में असहज महसूस करते हैं। हम चाहेंगे कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस विषय पर भी कुछ कहें।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े बच्चों को इन समस्याओं के बारे में समझाना आसान काम है, जबकि छोटे बच्चों को इस तरह की चीजें समझाने में थोड़ी कठिनाई आती है।
मेराकी फाउंडेशन के सीईओ सीमांत धड़वाल ने कहा कि यह एक काल्पनिक परिस्थिति है। हमने इस तरह की परिस्थिति कभी नहीं देखी। बच्चों के अलावा अभिभावक भी थोड़े ज्यादा चिंतित और परेशान हैं। क्योंकि उनका दैनिक जीवन बदल गया है।इसलिए यह जरूरी है कि हम बच्चों को उनकी आयु के अनुसार इस तरह की गतिविधियों में शामिल करें। जिससे कि वह टेक्नोलॉजी के जरिए अपने दोस्तों से जुड़ सकें, हमें अपने घर के अंदर भी पार्क जैसा माहौल बनाने की आवश्यकता है।
सिसोदिया ने कहा कि अभिभावकों को भी इस पूरी परिस्थिति के अनुसार संवेदनशील होने की जरूरत है और इस बात पर ध्यान रखने की जरूरत है कि उनके बच्चे किस तरह के समाचार और न्यूज के संपर्क में आ रहे हैं?
क्योंकि हम लगातार कोरोना वायरस से आने वाली बुरी खबरों को सुन रहे हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि अभिभावक अपने बच्चों के मन में डर पैदा होने से रोकें। यह एक बेहद अहम चरण है, जहां पर बच्चों को बेहद सावधानी के साथ अभिभावकों द्वारा संभाला जाना है। अन्यथा बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।
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