नई दिल्ली , 12 दिसंबर। सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि वर्तमान में, आधार से जुड़े बैंक खाते के माध्यम से सत्यापित दावों के आधार पर सहारा समूह (Sahara India Pariwar) की सहकारी समितियों के प्रत्येक वास्तविक जमाकर्ता को केवल 10,000 रुपये तक की राशि का भुगतान( (refund)किया जा रहा है।
पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों पर पारदर्शी तरीके से एवं उचित पहचान तथा अपनी पहचान एवं जमा राशि का प्रमाण प्रस्तुत करने पर कार्यवाही की जा रही है। भुगतान सीधे वास्तविक जमाकर्ताओं के आधार से जुड़े बैंक खाते में जमा किया जा रहा है।
उन जमाकर्ताओं के लिए, जिनके दावों का निपटारा उनके दावों में पाई गई कमियों के कारण नहीं किया जा सका, उनके दावों को ऐसी कमियों को दूर करने के बाद चरणबद्ध तरीके से फिर से जमा करने हेतु “सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल (पुनः जमा)” https://mocresubmit.crcs.gov.in लॉन्च किया गया है।
लिखित उत्तर में कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 29.03.2023 के आदेश के अनुपालन के क्रम में, सहारा समूह की चार बहु-राज्यीय सहकारी समितियों अर्थात् सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, लखनऊ, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, भोपाल, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, कोलकाता और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, हैदराबाद के वास्तविक जमाकर्ताओं द्वारा उनकी वैध जमा राशि की वापसी के लिए दावे प्रस्तुत करने हेतु 18.07.2023 को एक ऑनलाइन पोर्टल “सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल” https://mocrefund.crcs.gov.in लॉन्च किया गया है।
वितरण की पूरी प्रक्रिया एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल की सहायता से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.सुभाष रेड्डी की देखरेख और निगरानी में की जा रही है। पूरी प्रक्रिया डिजिटल और कागजरहित है।
डब्ल्यूपी (सी) सं.191/2022 (पिनाक पाणी मोहंती बनाम भारत संघ एवं अन्य) में सहकारिता मंत्रालय द्वारा दायर एक वादकालीन आवेदन में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 29.03.2023 को अन्य बातों के साथ-साथ आदेश दिया कि:
“(i) “सहारा-सेबी रिफंड खाते” में पड़े 24,979.67 करोड़ रुपये की कुल राशि में से, 5000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार को हस्तांतरित किए जाएंगे, जो बदले में, सहारा समूह की सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं के वैध बकाए को लौटाने के लिए इसका वितरण करेगा, जिसका भुगतान वास्तविक जमाकर्ताओं को सबसे पारदर्शी तरीके से किया जाएगा और उचित पहचान एवं उनकी जमा राशि के प्रमाण तथा उनके दावों के प्रमाण प्रस्तुत करने पर सीधे उनके संबंधित बैंक खातों में जमा किया जाएगा।
(ii) वितरण की इस प्रक्रिया की देखरेख और निगरानी इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी द्वारा की जाएगी और विद्वान अधिवक्ता श्री गौरव अग्रवाल इसमें उनकी सहायता करेंगे। अधिवक्ता श्री गौरव अग्रवाल को न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं को राशि वितरित करने में सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया गया है। भुगतान करने के स्वरुप और तौर-तरीकों का निर्धारण सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और विद्वान अधिवक्ता श्री गौरव अग्रवाल के परामर्श से किया जाएगा।”
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