अब बाढ़ आने के तीन दिन पहले लोगों को जानकारी मिल सकेगी। सरकार ने यह भरोसा गूगल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर होजाने के बाद व्यक्त किया है।
सरकार को यह भी उम्मीद है कि इस समझौते के बाद सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई है कि गूगल के साथ समझौता से भारत में बाढ़ का कारगर या प्रभावकारी प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।
जल संसाधन के क्षेत्र में भारत के शीर्ष प्रौद्योगिकी संगठन केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने गूगल के साथ एक सहयोग समझौता किया है।
सीडब्ल्यूसी जल संसाधनों के कारगर प्रबंधन विशेषकर बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने एवं बाढ़ संबंधी सूचनाएं आम जनता को सुलभ कराने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), मशीन लर्निंग एवं भू-स्थानिक मानचित्रण के क्षेत्र में गूगल द्वारा की गई अत्याधुनिक प्रगति का उपयोग करेगा।
इस पहल से संकट प्रबंधन एजेंसियों को जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल) संबंधी समस्याओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलने की आशा है।
इस समझौते के तहत सीडब्ल्यूसी और गूगल इन कार्यों में आपसी सहयोग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), मशीन लर्निंग, भू-स्थानिक मानचित्रण और जल विज्ञान से जुड़े अवलोकन डेटा के विश्लेषण में तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करेंगी
(i) बाढ़ पूर्वानुमान प्रणालियों को बेहतर करना, जिससे स्थान-लक्षित आवश्यक कार्रवाई योग्य बाढ़ चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी
(ii) बाढ़ प्रबंधन की परिकल्पना करने एवं इसमें बेहतरी के लिए गूगल अर्थ इंजन का उपयोग करने से जुड़ी उच्च प्राथमिकता वाली अनुसंधान परियोजना और
(iii) भारत की नदियों पर ऑनलाइन प्रदर्शनियां तैयार करने से जुड़ी एक सांस्कृतिक परियोजना।
मंत्रालय ने इससे पहले वर्ष 2016-17 के दौरान एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी)’ का शुभारंभ किया था। एनएचपी विश्व बैंक से सहायता प्राप्त केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसमें पूरे देश को कवर किया गया है। राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना का उद्देश्य जल संसाधन सूचनाओं, बाढ़ से जुड़ी निर्णय सहायता प्रणाली एवं बेसिन स्तरीय संसाधन आकलन/नियोजन के विस्तार, गुणवत्ता एवं पहुंच को बेहतर करना और लक्षित जल संसाधन प्रोफेशनलों एवं भारत के प्रबंधन संस्थानों की क्षमता को मजबूत करना है।
गूगल उच्च स्तरीय डिजिटल, तकनीक जिसमें वो अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञता के सहारे सीडब्ल्यूसी द्वारा प्रदत्त जानकारी के सहयोग से बाढ़ की सटीक जानकारी देगा।
अब संभवतः बाढ़ आने के तीन दिन पहले ही लोगों को जानकारी मिल सकेगी। इस समझौते के बाद सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी। इससे सरकार और आपदा प्रबंधन संगठनों को बाढ़ प्रभावित स्थानों और जनसंख्या की बेहतर जानकारी प्राप्त होगी। यह पहल बेहतर बाढ़ प्रबंधन और बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने में मील का पत्थर साबित होगी।
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