पिछले चार वर्षों से पेट्रोल में मिलावट (Petrol adulteration) के सिद्ध मामलों में 40 पेट्रोल विक्रेताओं की डीलरशिप रद्द की गई है।
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार (01 जुलाई) को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (Public Sector Oil Marketing Companies) जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने नियमों, बाजार अनुशासनात्मक दिशानिर्देशों और डीलरशिप समझौते का पालन नहीं करने वाले खुदरा डीलरों के खिलाफ कार्रवाई की है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत केंद्र सरकार मोटरस्पिरेट और हाई स्पीड डीजल (आपूर्ति, वितरण विनियमन और कदाचार की रोकथाम) आदेश 2005 जारी किया गया है।
इसके अनुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत पेट्रोलियम उत्पादों में मिलावट (adulteration of petroleum products ) करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है।
तेल विपणन कंपनियाँ रिटेल आउटलेट्स पर पेट्रोल में मिलावट (Petrol adulteration) की नियमित और अचानक जाँच करती हैं।
जाँच के लिए अलग से एक गुणवत्ता विभाग बनाया गया है ।
पेट्रोल पंपों से पेट्रोल के नमूने लेकर उनको निरीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है।
तेल विपणन कंपनियों को यह सुझाव दिया गया है कि पेट्रोल में मिलावट (Petrol adulteration) को रोकने के लिए कंपनी से बाहर जाने वाले टैंकरों को सील किया जाना चाहिए।
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