स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि समाज में समानता तब होगी, जब हम गरीबों में से सर्वाधिक गरीब को सर्वोच्च स्थान पर बैठे व्यक्ति के समकक्ष बिठा देंगे।
यह विचार मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोयम्बटूर में श्रीरामकृष्ण मठ द्वारा आयोजित स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की 125वीं वर्षगांठ के समापन समारोह को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
मोदी ने कहा कि पिछले चार वर्षों से हम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के इस विजन के साथ भारत पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रम और योजनाओं की भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संयोग से 125 वर्ष पहले शिकागो में जब स्वामी विवेकानंद जी ने विश्व धर्म संसद में भाषण दिया था तब श्रोताओं में लगभग 4000 व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री के संबोधन के कुछ बिन्दु इस प्रकार है:
उन्होंने शिकागो में विश्व को वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया और देश के समृद्ध अतीत और अपार क्षमता की भी याद दिलाई।
उन्होंने हमें खोया हुआ विश्वास, अपना गर्व और अपनी जड़ें दी।
स्वामी विवेकानंदजी ने न केवल विश्व पर अपनी छाप छोड़ी, बल्कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा और नया विश्वास भी दिया।
उन्होंने देश के लोगों में हम कर सकते हैं, हम सक्षम हैं की भावना भरकर जागृत किया।
उन्होंने देश को यह आत्मविश्वास दिया। उनका मंत्र था –‘स्वयं में विश्वास करो, देश को प्यार करो’
स्वामी जी का पूर्ण विश्वास था कि भारत का भविष्य युवाओं पर निर्भर है। वेद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था, ‘युवा, शक्तिशाली, स्वस्थ और तीक्ष्ण बुद्धि वाला भगवान के पास पहुंचेगा।’
स्वामी जी कहते थे कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं ऐसे धर्म का अनुयायी हूं जिसने पूरे विश्व को सहिष्णुता और सार्वकालिक स्वीकार्यता का संदेश दिया है।
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे, ‘सभी युगों में कमोबेश सभी जगह दुष्ट व्यक्ति रहा करते थे। हमें समाज के इन दुष्ट व्यक्तियों से सावधान रहना चाहना और उन्हें पराजित करना है।
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