नाटककार, अभिनेता, फिल्म निर्देशक, कन्नड़ लेखक, गिरीश रघुनाथ कर्नाड (Girish Raghunath Karnad) का सोमवार 10 जून को 81 साल की आयु में बैंगलूरू में देहांत हो गया।
उन्हें पद्श्री और पद्मभूषण Padma Bhushan से सम्मानित किया गया था। उन्हें उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
महाराष्ट्र के माथेरान में 19 मई, 1938 को जन्मे गिरीश कर्नाड की शिक्षा इंग्लिश और मराठी में हुई थी। वह गणित और सांख्यिकी में स्नातक थे।
गिरीश रघुनाथ कर्नाड Girish Raghunath Karnad ने हिन्दी, कन्नड, तमिल, तेलुगु आदि भाषाओं की अनेकों फिल्मों में काम किया था। उन्होंने अंग्रेजी में नाटक भी लिखे और उनका मंचन किया था।
(स्व. गिरीश रघुनाथ कर्नाड की युवावस्था की फाइल फोटो)
उनकी कुछ प्रमुख हिन्दी फिल्मे हैं टाइगर ज़िंदा है, चॉक एन डस्टर, सिवाय, संपर्क हीरा, जीवन मुक्त, रत्नदीप, अपने पराये, स्वामी, निशांत, मंथन और जादू का शंख आदि।
स्व. गिरीश रघुनाथ कर्नाड Girish Raghunath Karnad का भारत में आधुनिक नाटकों के विकास में महत्वपूर्ण स्थान था। इस बात को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के इस कथन से समझा जा सकता है जो उन्होंने 10 मई 2018 को डी पी सिन्हा की पुस्तक ‘टू क्लासिकल प्लेज फ्राम इंडिया’ का विमोचन करते हुए कही थी।
उपराष्ट्रपति ने कहा था कि कालिदास से रवींद्रनाथ टैगोर और गिरीश कर्नाड तक विभिन्न भाषाओं में प्रतिष्ठित नाटककारों ने भारतीय रंगमंच के विकास और विविधता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी अध्ययन किया था।
स्व. गिरीश रघुनाथ कर्नाड Girish Raghunath Karnad काका पहला नाटक ययाति था जो 1961 में लिखा गया। यह नाटक उन्होंने इंग्लैंड में रहते हुए लिखा। स्व. कर्नाड 1963 से 70 तक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, मद्रास में मैनेजर भी रहे थे।
गिरीश रघुनाथ कर्नाड Girish Raghunath Karnad मूल रूप से एक नाटककार के रूप में जाने जाते रहे। उनके प्रमुख नाटकों में तुगलक 1964 हयवदन 1971 नागमण्डलम् आदि थे। आजादी के बाद उन्होंने बादल सरकार, मोहन राकेश और विजय तेंदुलकर के साथ भारत में नाट्य कला को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों में काम किया था।
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