प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान आरंभ करते हुए कहा कि स्वच्छता एक आदत है, जिसे दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता है।
स्वच्छता ही सेवा अभियान का उद्देश्य स्वच्छता की दिशा में अधिक सार्वजनिक भागीदारी सृजित करना है।
इसका आयोजन 02 अक्टूबरए 2018 को स्वच्छ भारत मिशन की चौथी वर्षगांठ की तैयारी के सिलसिले में किया जा रहा है, जो महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समरोहों के आरंभ को भी चिह्नित करेगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ शनिवार को नई दिल्ली से 17 स्थानों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वच्छता ही सेवा अभियान का शुभारम्भ किया।
इनमें आईटीबीपी, स्कूलों के बच्चे, दूध संगठनों और कृषि सहकारी समितियों के सदस्य, आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव, अभिनेता अमिताभ बच्चन, उद्योगपति रतन टाटा और स्वच्छग्राही शामिल थे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बोधन के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं :
- 2014 में भारत की स्वच्छता का कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत था। आज आप सबके पुरुषार्थ और संकल्प का परिणाम है कि स्वच्छता का कवरेज 90 प्रतिशत से अधिक हुआ है।’
- किसने सोचा होगा कि पिछले चार वर्षों में हम स्वच्छता के कवरेज में उतनी प्रगति कर लेंगे जितनी उससे पहले करीब-करीब 60-65 साल में भी नहीं हो पाई।
- क्या कोई ये सोच सकता था कि भारत में चार वर्षों में करीब 9 करोड़ शौचालयों का निर्माण हो।
- क्या किसी ने ये कल्पना की थी कि चार वर्ष में लगभग साढ़े चार लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो जाएंगे।
- क्या किसी ने कल्पना की थी कि चार वर्षों में 450 से ज्यादा जिले खुले में शौच से मुक्त हो जाएंगे।
- क्या किसी ने ये कल्पना की थी कि चार वर्षों में 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हो सकते हैं।
मोदी ने शनिवार को दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में श्रमदान कर ‘स्वच्छता ही सेवा‘ अभियान में भाग लिया।
वीडियो कांफ्रेस संवाद के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री मध्य दिल्ली के रानी झांसी मार्ग स्थित बाबा साहेब अंबेडकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के लिए रवाना हो गए।
उन्होंने वहां बाबा साहेब अंबेडकर की एक प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की और स्वच्छता अभियान में भाग लिया।
उन्होंने विद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत भी की तथा उन्हें स्वच्छता के प्रयोजन की दिशा में प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री ने सामान्य यातायात में एवं बिना किसी पारंपरिक प्रोटोकॉल के स्कूल की यात्रा की। उनकी यात्रा के लिए किसी विशेष यातायात की व्यवस्था नहीं की गई थी।
डॉ अंबेडकर ने 1946 में अनुसूचित जातियों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए खुद इस स्कूल परिसर को खरीदा था।
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