Police will now have to register FIR within 3 days of receiving the complaint

पुलिस को अब शिकायत प्राप्ति के 3 दिनों में ही FIR दर्ज करनी होगी

अब पुलिस को शिकायत के 3 दिनों में ही FIR दर्ज करनी होगी और 3 से 7 साल की सज़ा वाले मामले में प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी। e-FIR से कोई भी महिला थाने में एफआईआर करा सकती है, उसका संज्ञान भी लिया जाएगा और दो दिन के अंदर ही घर आकर इसका जवाब लेने की व्यवस्था की गई है।

नई दिल्ली, 20 दिसंबर। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब पुलिस को शिकायत के 3 दिनों में ही FIR दर्ज करनी होगी और 3 से 7 साल की सज़ा वाले मामले में प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी।
लोकसभा ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पारित कर दिया है। भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 का स्थान लेगा।
उन्होंने कहा कि अब हमने बिना किसी देर के बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट को 7 दिनों के अंदर पुलिस थाने और न्यायालय में सीधे भेजने का प्रावधान किया है। अब चार्जशीट दाखिल करने की समयसीमा तय कर इसे 90 दिन रखा गया है और इसके बाद और 90 दिन ही आगे जांच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट को 14 दिनों में मामले का संज्ञान लेना ही होगा औऱ कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
शाह ने कहा कि आरोपी द्वारा आरोपमुक्त होने का निवेदन भी 60 दिनों में ही करना होगा। कई मामले ऐसे हैं जिनमें 90 दिनों में आरोपी की अनुपस्थिति में भी ट्रायल कर उन्हें सज़ा सुनाई जा सकेगी। अब मुकदमा खत्म होने के 45 दिनों में ही न्यायाधीश को निर्णय देना होगा। इसके साथ ही निर्णय औऱ सज़ा के बीच 7 ही दिनों का समय मिलेगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील खारिज करने के 30 दिनों के अंदर ही दया याचिका दाखिल की जा सकती है।
शाह ने कहा कि e-FIR से कोई भी महिला थाने में एफआईआर करा सकती है, उसका संज्ञान भी लिया जाएगा और दो दिन के अंदर ही घर आकर इसका जवाब लेने की व्यवस्था की गई है। हमने टेक्नोलॉजी का उपयोग भी पुलिस के अधिकारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए किया है। क्राइम सीन, इन्वेस्टिगेशन और ट्रायल के तीनों चरण में हमने टेक्नोलॉजी के उपयोग को तवज्जो दी है, जिससे पुलिस जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही तो निश्चित रूप से सुनिश्चित होगी ही, सबूत की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और विक्टिम और आरोपी दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी।
एविडेंस, तलाशी और जब्ती में वीडियो रिकॉर्डिंग का कंपलसरी प्रोविजन किया गया है, जिससे किसी को फ्रेम करने की संभावनाओं में बहुत कमी आएगी। श्री शाह ने कहा कि बलात्कार के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी करने का निर्णय नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि हमारे यहां दोषसिद्धि की दर बहुत कम है और इसे बढ़ाने के लिए साइंटिफिक एविडेंस पर थ्रस्ट देना पड़ेगा। इस बिल में क्वालिटी ऑफ इन्वेस्टिगेशन में सुधार करने, इन्वेस्टिगेशन साइंटिफिक पद्धति से करने और 90% का कन्विक्शन रेट का लक्ष्य रखते हुए हमने प्रावधान किया है कि 7 साल से ज्यादा सजा वाले अपराधों में FSL टीम का विज़िट कंपलसरी होगी।
गृह मंत्री ने कहा कि  नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाई, जब प्रधानमंत्री बने तो नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाई और नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी के तहत अब तक 9 राज्यों में एनएफएसयू के 7 परिसर और दो ट्रेनिंग अकादमी खुल चुके हैं। 5 साल बाद हर साल 35000 फॉरेंसिक एक्सपर्ट हमें मिलेंगे जो हमारी ज़रूरत को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार 6 अत्याधुनिक सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री बना रही है।
शाह ने कहा कि अब पीड़ित किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर ज़ीरो एफआईआर करा सकता है और वो 24 घंटे में संबंधित पुलिस स्टेशन में अनिवार्य रूप से ट्रांसफर करनी होगी। इसके साथ ही हर जिले और थाने में पुलिस अधिकारी को पदनामित किया है जो गिरफ्तार लोगों की सूची बनाकर उनके संबंधियों को इन्फॉर्म करेगा।
शाह ने कहा कि जमानत और बांड को स्पष्ट नहीं किया गया था, लेकिन अब जमानत और बांड को स्पष्ट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की के लिए भी प्रावधान किया गया है। पहले 19 अपराधों में ही भगोड़ा घोषित कर सकते थे, अब 120 अपराधों में भगोड़ा घोषित करने का प्रावधान किया गया है।
गृह मंत्री ने कहा कि ट्रायल इन एब्सेंशिया के तहत अब अपराधियों को सज़ा भी होगी और उनकी संपत्ति भी कुर्क होगी। एक तिहाई कारावास काट चुके अंडर ट्रायल कैदी के लिए जमानत का प्रोविजन किया गया है। सजा माफी को भी तर्कसंगत बनाने का काम किया गया है। अगर मृत्यु की सजा है तो ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास हो सकता है, इससे कम नहीं हो सकेगी। आजीवन कारावास है तो 7 साल की अवधि सज़ा भोगनी ही पड़ेगी और 7 वर्ष या उससे अधिक सजा है तो कम से कम 3 साल जेल में रहना पड़ेगा।
पुलिस स्टेशनों में बड़ी संख्या में पड़ी हुई संपत्ति की वीडियोग्राफी फोटोग्राफी मजिस्ट्रेट को करवाकर अदालत की सहमति से 30 दिनों के अंदर इसे बेच दिया जाएगा और पैसे कोर्ट में जमा होंगे।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम में कई बदलाव किए हैं। इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को दस्तावेज की परिभाषा में शामिल कर दिया है और अब किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को दस्तावेज माना जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान को साक्ष्य की परिभाषा में शामिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब इसका पूर्ण अमल देश के हर थाने में हो जाएगा तब हमारी न्यायिक प्रक्रिया दुनिया में सबसे आधुनिक न्याय प्रक्रिया हो जाएगी।