बुंदेलखण्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी पर राजनीति

झांसी, 19 फरवरी | हर राजनीतिक दल महिलाओं को लेकर संजीदा होने की बात करता है, हकदार और हिस्सेदारी के नारे भी बुलंद करता है, मगर जब उसे राजनीतिक तौर पर सशक्त बनाने की बात आती है तो उस तरफ से आंखें मूंद लेता है। उत्तर प्रदेश के दंगल में बुंदेलखंड क्षेत्र में उम्मीदवारी तय करते वक्त राजनीतिक दलों का ऐसा ही चेहरा सामने आया।

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सात जिले हैं और यहां के 19 विधानसभा क्षेत्रों में 23 फरवरी को वोट डाले जाने हैं। यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सभी स्थानों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। इन तीन प्रमुख दलों द्वारा महिलाओं को दी गई हिस्सेदारी को देखें तो एक बात साफ हो जाती है कि कांग्रेस-सपा गठबंधन ने पांच महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा और बसपा ने सिर्फ एक-एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है।

फाइल फोटो खबर को समझने के लिए

गैर सरकारी संगठन समर्पण सेवा समिति से संबद्ध अपर्णा दुबे कहती हैं कि महिलाओं को लेकर मंचों पर बातें तो सभी राजनीतिक दल करते हैं, मगर जब उन्हें अधिकार संपन्न बनाने की बात आती है तो इसके लिए कोई तैयार नहीं होता। विधानसभा चुनाव में महिलाओं की उम्मीदवारी से यह बात साबित भी हो जाती है।

नगर निकाय और पंचायतों में महिलाओं की बढ़ी हिस्सेदारी का जिक्र करते हुए दुबे कहती हैं कि इन दोनों संस्थाओं में जो महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर पहुंची है, उनमें से अधिकांश नेताओं के परिवारों की ही हैं। उनका सारा काम पति ही करते हैं और उनकी पहचान भी अपने पति व परिवार के कारण होती है। परोक्ष रूप से सत्ता तो पुरुषों के पास ही है।

पानी के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करने वाली जल सहेली लाड़कुंवर कहती हैं कि इस इलाके में सबसे ज्यादा समस्याओं से महिलाएं घिरी हैं, वह चाहे पानी का मसला हो, रोजगार का हो या अपराध का। बात आधी आबादी की होती है, मगर आधी आबादी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देकर चुनाव लड़ाने के लिए कोई दल तैयार नहीं है। जब महिलाएं निर्वाचित प्रतिनिधि ही नहीं बन पाएंगी तो उनकी समस्याओं का निराकरण कौन करेगा?

इस बार के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की तय की गई उम्मीदवारी पर गौर करें तो पता चलता है कि भाजपा और बसपा ने सिर्फ पांच फीसदी (19 विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ एक) तो वहीं कांग्रेस व सपा के गठबंधन ने 25 फीसदी (19 विधानसभा क्षेत्र में से पांच) स्थानों पर महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।

बुंदेलखंड की राजनीति के जानकार कहते हैं कि सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनाव में जीत अहम होती है। लिहाजा मंच पर महिलाओं को लुभाने की बातें करना, योजनाएं बनाना अलग बात है और चुनाव जीतकर सत्ता पाना अलग। महिलाओं को पर्याप्त संख्या में चुनाव में उम्मीदवार न बनाया जाना कई सवाल खड़े करता है।

बसपा अध्यक्ष मायावती महिला हैं, वहीं भाजपा की केंद्रीय मंत्री उमा भारती इसी इलाके से आती हैं। इस पर भी महिलाओं की उम्मीदवारी का यह हाल है तो अन्य इलाकों में क्या होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

–आईएएनएस