देश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना है। देश भर में जारी बाघ अनुमान/गणना के प्रारंभिक संकेतकों से ऐसा लगता है।
यह उम्मीद जताते हुए केन्द्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने बाघ संरक्षण के लिए सामाजिक आंदोलन प्रारंभ करने की आवश्यकता को दोहराया है।
डॉ हर्षवर्द्धन नई दिल्ली में शुक्रवार को एक सप्ताह तक चलने वाले विश्व बाघ दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा “बाघ संरक्षण को हरित शुभ कार्य आंदोलन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। ”
इससे पहले डॉ. हर्षवर्धन ने भारतीय चिड़ियाघरों के वन्य जीवों के स्वास्थ्य तथा पोषण प्रबंधन पर एक मैनुअल जारी किया। इसमें चिड़ियाघरों में वन्य जीव अवसंरचना निर्माण तथा दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने संबंधी बातें शामिल हैं।
मैनुअल में टीकाकरण की समयसारिणी और कृमि नाशक तथा स्वास्थ्य संबंधी बातें भी हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव श्री सी.के. मिश्रा ने कहा कि प्रश्न केवल बाघ संरक्षण का नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली बनाने का है। उन्होंने बच्चों की भूमिका के महत्व को बताते हुए कहा कि बच्चे समाज पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में विशेष सचिव डॉ. सिद्धांत दास ने कहा कि जिस तरह से हमारे देश में बाघों का संरक्षण हो रहा है, उस तरह भारत अपने बाघों की आबादी दोगुना करने की राह पर है।
समारोह में दिल्ली के विभिन्न स्कूलों के 200 से अधिक स्कूली बच्चे, उनके शिक्षक, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
समारोह में संरक्षण सहयोगी व्लर्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ), वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) तथा ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) के अधिकारी भी शामिल हुए।
प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को मनाए जाने वाले विश्व बाघ दिवस से पहले युवा पीढ़ी में जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
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