केंद्रीय संचार और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने मंगलवार, 18 दिसंबर 2018 को नई दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ला पर स्मारक डाक टिकट जारी किया।
राजकुमार शुक्ला उन स्वतंत्रता सेनानियों में थे जिन्होंने आजादी से पहले चम्पारण में नील की खेती करने वाले किसानों पर यूरोप के व्यापारियों और ब्रिटिश अधिकारियों के दमन के विरुद्ध आवाज उठाई थी। बाद में 1917 में गांधी जी ने चम्पारण आन्दोलन शुरू किया था।
राजकुमार शुक्ला को गांधी जी के लिए प्रेरणा स्रोत कहा जा सकता है क्योंकि गांधी 1916 में भारत आये थे और देश का भ्रमण कर रहे थे। उन दिनों उन्हें महात्मा नहीं कहा जाता था।
राजकुमार शुक्ला का जन्म 23 अगस्त 1875 को और देहांत 20 मई 1 9 2 9 को हुआ। वह भट्ट ब्राह्मण थे। उनका जन्म चंपारण के सतवरिया गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम कोलाहल शुक्ला था।
यह वह गांव है जहां उनके पूर्वज 200 साल से रह रहे थे। उनकी कृषि भूमि चंपारण के गांव मुरली भरहवा में थी।
चंपारण सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध, चंपारण के किसानों के संघर्ष को भारत की आजादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ कहा जाता है।
कहा जाता है कि राजकुमार शुक्ला ने ही गांधीजी को बिहार के चंपारण गांव में आमंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
यह डाक टिकट डॉ संजय जायसवाल (सांसद पश्चिम चम्पारण) और सतीशचंद्र दुबे सांसद (वाल्मीकि नगर) की उपस्थिति में जारी किया गया।
डाक विभाग सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली जानी.मानी हस्तियों विशेषकर स्वाधीनता सेनानियों को श्रद्धांजलि देता रहा है। इसके साथ ही विभाग द्वारा इस वर्ष जारी किए गए डाक टिकटों की संख्या 43 हो गई।
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