मुंबई (Mumbai) में ‘कथक नृत्य (Kathak Dance) में थाट (Thaat), गत (Gat) और ठुमरी (Thumri) में निकास (Nikaas) की खोज (Exploring) ‘ कार्यशाला (Workshop) सम्पन्न होगई।
सांस्कृतिक संस्था ‘बीज गेराज’ (Beej Garage) द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में गुरू प्रेरणा श्रीमाली (Prerana Shrimali) ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य कथक में सृजन और कलात्मक अभिव्यक्ति और अनुसंधान की असीम संभावनाएं हैं।
मुंबई (Mumbai) में 10 एवं 11 अगस्त, 2019 को आयोजित इस कार्यशाला में भाग लेने वाली वरिष्ठ नृत्यांगनाओं से उन्होंने कथक के नृत्त पक्ष के साथ अभिनय की बारीकियों को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करने पर जोर दिया।
फ्यूचर स्कूल ऑफ परफोर्मिंग आर्ट (Future School of Performing Art) , कलीना (Kalina) में निकास (Nikaas) पर आयोजित कार्यशाला में अनेक वरिष्ठ नृत्यांगनाओं ने भाग लिया।
कथक के समीक्षकों का कहना है कि कथक नृत्य के व्याकरण में ‘निकास’ (Nikaas) नृत्य के विस्तार से पहले का आधार प्रस्तुत करता है।
कथक के व्याकरण पक्ष थाट,गत और ठुमरी में ‘निकास’ (Nikaas) की भूमिका और उसके विस्तार की संभावनाओं को प्रेरणा श्रीमाली ने बारीकी से प्रकाश डाला और नृत्यांगनाओं को प्रयोग के लिए तैयार किया और प्रशिक्षित भी किया।
इस कार्यशाला का आयोजन नृत्यांगना संजुक्ता वाघ
(Sanjukta Wagh) ने ‘बीज’ के बैनर तले अपनी टीम के सहयोग से किया था।
संजुक्ता वाघ मुंबई में ‘बीज’ (Beej) नामक एक अंतःविषय पहल की सह-संस्थापक हैं, जो वर्ष 2005 से रचनात्मक प्रक्रिया और आशुरचना, शास्त्रीय नृत्य शिक्षण-प्रशिक्षण और वैकल्पिक प्रदर्शन के तरीकों की खोज में लगी हुई है।
कलाकार, कोरियोग्राफर, शिक्षक और क्यूरेटर, संजुक्ता वाघ ने गुरू राजश्री शिर्के (Rajashree Shirke) से कथक (Kathak) नृत्य और पंडित मुरली मनोहर शुक्ला (Pandit Murli Manohar Shukla) से हिंदुस्तानी संगीत (Hindustani Music) का प्रशिक्षण लिया है।
सन् 2005 में मुंबई में स्थापित, ‘बीज’ एक अंतःविषय पहल है जो कला प्रदर्शन, अभ्यास, अनुसंधान और शिक्षा में समकालीन अभिव्यक्ति की सीमाओं के साथ संलग्न होने और और उन्हें विस्तार देने पर केंद्रित है।
Follow @JansamacharNews